सरकार विकास करवावै खातिर करोड़ रूपिया खर्च तौ करत हवै, पै वा रूपिया कहां जात हवै?कउनौ का पता नहीं चलत आय? विकास तौ वहिनतान अधूरा पड़ा हवै। या समय बरसात का महीना हवै। जघा जघा नाला टूट हवै। कत्तौ नाला के गहराई कम हवै या कुछ जघा नाला बने नहीं आहीं। यहै से बरसात का पानी मड़इन के घरन मा भर जात हवैं तौ कत्तौ बाढ़ जइसे आ जात हवै। यहिसे मड़ई के समस्या बहुतै बढ़ जात हवै। पै जनता के समस्या का काहे नहीं ध्यान दीन जात आय?
चित्रकूट जिला के मानिकपुर बाजार का नाला मा गहराई कम होय से पानी सड़क मा भरा हवै। या कारन हजारन मड़ई परेषान हवै। यहिनतान देऊंधा गांव का नाला तौ एक बरसात मा टूट गा हवै।
चित्रकूट जिला मा हजारन नाला बने हवै। जेहिमा लगभग सौ नाला सही हवै बाकी तौ बेकार हवै। सरकार काहे नहीं इं नालन के मरम्मत बरसात के पहिले करवावत आय? हर बरस आम जनता या समस्या से जूझत हवैं। तबहूं शासन प्रषासन सूकुन के नींद सोवत हवै। का इनका जनता के जान के चिन्ता नहीं आय। जबै बाढ़ आबै से मड़ई बेघर होइहैं तबै सोचिहैं?
जघा-जघा भरत हवै नाला
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