बरसात का मौसम शुरू होतै कत्तौ नाला के समस्या है कत्तौ बाढ़ से फसल का नुकसान तौ कत्तौ मड़इन के घरन मा पानी घुसत है। या समस्या हर साल मड़इन का झैलै का पड़त है, पै शासन प्रशासन इनतान के समस्या खातिर कउनौ ठोस कदम नहीं उठावत आहीं।
घरन मा भरत पानी
जिला बांदा, ब्लाक महुआ, गांव जमरेही, निवादा, पचोखर अउर नरैनी ब्लाक का गांव पुकारी मजरा अकेलवा। इं गांवन मा कतौ नाला खुदे परे हंै तौ कतौ पानी निकरैं के जघा निहाय। यहिसे चार महीना मड़ई के मुश्किल से कटत हंै।
जमरेही गांव के बेलिया कहिन हमरे गांव का नाला बहुतै पुरान खुदा परा है। यहिसे वा पूर गा है तौ नाला का पानी पलट केे मड़इन के घरन मा घुसत है। यहिसे हमार घर गिर गे हैं।
कोटेदार शैलेन्द्र कहत है कि घर मा पानी भर गा है तौ पूर कोटा का गल्ला तक भीग गा है। प्रधान से नाला बनै के मांग कीन है।
प्रधान बाबा दीन कहत है कि नाला बनवावा जई। पानी के भराव खातिर मैं का कर सकत हौं।
बड़ोखर खुर्द ब्लाक गांव रेऊना के राम भरोसा कहत है कि हमरे गांव मा भी नाला न होय से रास्ता मा पानी भरा रहत है। प्रधान छोटी देवी का मनसवा पे्रम नरायन कहत है कि गांव के मड़ई बांदा काम करैं जात है तौ नाला कसत बनै।
हर साल जान लेत
जिला बांदा, ब्लाक नरैनी, गांव भुसासी। या गांव के पास पीढि़न से बिसाहिल नाला निकरा है। या नाला का पानी कडैली नदी से जुडा़ है। नदी मा बाढ़ आवै से बिसाहिल नाला मा भी बाढ़ आ जात है। हर साल चार छह मड़ई या नाला मा बही जात हैं। साधौ पुर का सुनील अउर भुसासी गांव का सुरेन्द्र कहत है हमरे हेंया के या नाला मा अबै तक लगभग पांच सौ मड़ई मर चुके हैं। या नाला के ऊपर पुल बन जाय तौ बीस गांव के समस्या दूर होई जाय। पिछले साल हड़हा गांव का एक लड़का नाला मा गिरगा तौ वहिके लाश एक किलोमीटर के दूरी मा तीन दिन के बाद मिली रहै। कंचन अउर सबिता कहत है बरसात मा चार चार दिन पढ़ै जाब मुश्किल पर जात है। 2012 मा तीन बिटिया साइकिल सहित गिर के मर गई है। भुसाषी का प्रधान हीरालाल अउर उदयपुर प्रधान बेसनिया का मनसवा कहत है कि पुल खातिर छह महीना पहिले लिख के दीन है।
अतर्रा एस. डी. एम. सुनील कुमार कहत है कि बरसात बाद पुल बनी। वहिके खातिर प्रस्ताव भेजा गा है।
पी. डब्लू. डी. विभाग के सहायक अभियन्ता छत्रपाल कहत है बिसाहिल नाला मा रपटा बना है। पुल अधूरा है तौ बजट आवैं के बाद बनी ।
बाढ़ से भयभीत मड़ई
जिला बांदा, ब्लाक बड़ोखर खुर्द, गांव पंचायत भुरेड़ी मजरा भुरागढ़। हेंया लगातार आठ दिन से बाढ़ से बसे गांव अउर मोहल्ला बाढ़ के स्थित मा आ सकत है। यहिसे आखिन के नींद उड़ गे है, पै प्रशासन कइत से बाढ़ से बचावै खातिर कउनौ नहीं आय।
केन नदी के बगल से भुरेड़ी के सुदामा, सन्तु अउर बड़कू बतावत है कि 29 जुलाई 2013 से 2 अगस्त 2013 तक नदी उफान मा रही हे। यहै लागत रहा है कि इं गांव फेर से उजड़ जई। मड़इन का यहे समझ मा आवत रहा हें कि सन् 1978, 1992, 2005 मा जबै बाढ़ आई रहै। तौ गांव पुरा बही गा रहै। कहा तक घर बनवान कच्चे घर हर साल गिर जात है, पै अधिकारी हमरे खातिर कुछौ नहीं सोचत आय। जेहिमा कंचन पुरवा हरदौली सबै गांव है। छह हजार के आबादी के मड़ई या समस्या झेलत हे। प्रधान राम किसुन का कहब है मैं कई दरकी प्रशासन का लिखित दरखास दीन हौं। कि हमार गांव ऊंचे मा बसावा जाय
बांदा एस.डी.एम गिरीश कुमार शर्मा का कहब है कि केन नदी बाढ़ वाला निशान 107 है। अबै नदी 105 तक पहुंच पाई। है। बाढ़ से निपटय का सब इतंजार करत है। जेहिमा 25 बाढ़ चैकिया बनाई गई है। सबके मोबाइल नम्बर अउर नाव स्टीमर के व्यवस्था है।