7 मई 2014 का कैंट डिपो के कंडेक्टर अउर ड्राइवर का मार के अतर्रा डिग्री कालेज के छात्र आखिर का हासिल कई लिहिन? का आपन बाप महतारी अउर कालेज के बदनामी? छात्र सोचै कि बाप महतारी कालेज भेजत हैं कि उनकर बच्चा नेक इंसान बनी अउर बुढ़ापे का हमार सहारा होई। पै इनतान के गुण्ड़ागर्दी करैं वाले का आपन भविष्य बना पइहैं। पाई-पाई जुगाड़ कइके अपना बच्चा का भविष्य उज्जवल करैं का सपना देखैं वाले बाप महतारी घर से रूपिया दइके भेजत है कि उनका नींक शिक्षा मिलै अउर नीक गुन सीखैं। आज गुण्डागर्दी करैं वाले कल खुदै गुण्डगर्दी के शिकार बनिहैं। अगर या सोच रखी जाय तौ शायद इनतान घटना का अंजाम दे से पहले कुछ सोचै।
अतर्रा डिग्री कालेज का पढ़ाई के नाम से नहीं छात्रन के गुण्डागर्दी से जाना जात हैं रेलगाड़ी अउर बसन का रोक के बेगैर टिकट यात्रा करब आपन शउख मानत हैं। मारे डर के प्राइवेट साधन मा उनसे किराया मांगा ही नहीं जात आय। अगर कउनौ भी साधन मा किराया लई लीन गा तौ मारे दबगंई अउर गुण्डागर्दी के ड्राइवर अउर कंडेक्टर के साथै मारपीट करत हैं। या काम मा अतर्रा डिग्री कालेज के छात्र नम्बर वन मा है। शायद यहै कारन है कि आज के पीढ़ी शिक्षा के क्षेत्र मा बहुतै पिछड़ी है जेहिमा खास करके लड़कन का नाम पहिले नम्बर मा है। कानून के नजर मा तौ सब बराबर है। या बात तौ सिर्फ किताब तक सीमित है। काहे से कारवाही कीन जात तौ आज इं घटना ंजाम दें से पहिले कुछ सोचा जात।
छात्रन के उपद्रव से मशहूर डिग्री कालेज
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