देश के राज्यों आन्ध्र प्रदेश और उड़ीसा में आए तूफान का असर उत्तर प्रदेश और बिहार के कई जिलों पर पड़ा। हालांकि इस बार सरकार इस प्रकृतिक आपदा से ठीक तरह से निपट पाई। लेकिन इसका असर किसानों पर भी पड़ा है। कई फसलें जैसे ज्वार, बाजरा, तिल और दालें की फसलें चैपट हो र्गइं हैं।किसानों का भारी नुकसान हुआ है।
इससे पहले किसान पानी न बरसने के कारण सूखे की मार झेल रहे थे। धान समेत कई फसलें सूख गई थीं। यानी इस तूफान का असर किसानों पर कहर बन कर पड़ा। अभी तक सूखे से बर्बाद हुई फसलों का मुआवज़ा ज़्यादातर किसानों को नहीं मिला है। और अब तूफान के कारण हुई भारी बारिश से चैपट हुई फसलों के लिए मुआवजे़ भी तय होंगे।
ऐसे में प्राकृतिक आपदाओं से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले किसानों के प्रति सरकार का रवैया चुस्त होना चाहिए। जैसे ही आपदाएं आएं उसके फौरन बाद फसलों की बर्बादी का लेखा जोखा तैयार कर विभाग को मुआवज़ा देने की कार्यवाही जल्द से जल्द करनी चाहिए। क्योंकि नुकसान होने और मुआवज़ा मिलने के बीच में अन्तर जितना बड़ा होगा, किसानों के लिए दिक्कतें उतनी बढ़ेंगी। एक फसल से होने वाली आय का इस्तेमाल किसान दूसरी फसल बोने के लिए करते हैं। अगर पहली फसल में नुकसान हो जाता है तो दूसरी फसल बोने में देरी होती है। मुआवज़ा अगर समय पर मिलता है तो कम से कम दूसरी फसल समय पर बोई जा सकती है।
चुस्त हो मुआवजे़ की प्रक्रिया
पिछला लेख