इन दिनों देश के हालात कुछ ऐसे हैं कि सरकार के कामकाज के खिलाफ आवाज उठाने वालों को या तो खामोश कर दिया जा रहा है या फिर उन्हें चुप रहने पर मजबूर किया जा रहा है।
गुजरात दंगों में राज्य सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाली समाजसेवी तीस्ता सीतलवाड़ के घर सी.बी.आई. ने छापा मारा। तीस्ता पर उनकी संस्था सबरंग के लिए नाजायज तरीके से विदेशी फंड लेने का आरोप है। हालांकि तीस्ता ने सरकार को जांच में मदद करने का वादा किया था। तीस्ता ने गुजरात में हुए दंगों के दौरान पीडि़तों को राहत और कानून मिलने में मदद की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दंगों के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
मध्य प्रदेश में व्यापम, यानी व्यवसायिक परीक्षा बोर्ड में हुआ घोटाला सबसे बड़ी खबर है। इस घोटाले की जांच करने वाले या व्यापम के जरिए किसी पद पर नियुक्त लोगों में करीब पचास मौतें हो चुकी हैं। घोटाले को सामने लाने वाले मुख्य चार लोगों पर दर्जनों हमले हो चुके हैं। यहां के मुख्य मंत्री कह रहे हैं कि सारी मौतों को व्यापम से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। दरअसल इसमें मुख्य मंत्री के परिवार के लोगों और खुद उनका भी नाम आने के आसार हैं।
उत्तर प्रदेश में पुलिस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने शिकायत की है कि उन्हें प्रदेश के मुख्य मंत्री रह चुके मुलायम सिंह ने फोन पर धमकाया। शिकायत के दो एक दिन के भीतर अमिताभ पर गाजियाबाद की एक औरत ने बलात्कार का आरोप लगा दिया। अमिताभ को नौकरी से निलंबित कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में मंत्री के खिलाफ लिखने वाले एक पत्रकार की हत्या कर दी गई। मंत्री अभी भी अपने पद पर बने हैं।
कुल मिलाकर सरकार अपने खिलाफ उठी आवाजों को चुप करने का हर हथकंडा अपना रही है।