नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस ने चुनावी प्रक्रिया शुरू होने के पहले अपने घोषणापत्र पेश कर दिए हैं। सभी क्षेत्रों में उम्मीदवार ज़ोर-शोर से प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं और कहीं कहीं पर हिंसा की घटनाएं भी सामने आई हैं। पहले बनारस में स्याही और अब दिल्ली में आप के अरविंद केजरीवाल को पहले पीठ पर मुक्का मारा गया।
आप के घोषणापत्र में ग्राम सभाओं और उनकी भूमिका पर खास ध्यान दिया गया है। साथ ही पंद्रह दिन में जन लोकपाल बिल का वादा किया है। पार्टी का ध्यान ज़्यादा भ्रष्टाचार को समाप्त करना और मध्यम वर्ग के लिए योजनाओं पर केंद्रित है।
कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र को लेकर जनता में बहुत कम उत्साह देखा गया। ‘आपकी आवाज़, हमारा प्रण’ नाम के घोषणापत्र में पार्टी ने फिर से व्यापारी क्षेत्र को गरीबों से जोड़ने पर ध्यान देने की कोशिश की है। साथ ही अनुसूचित जन जाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए विशेष कमेटियों के गठन का वादा किया है। पर अधिकतर मतदाताओं ने पिछले दस सालों में उनके अधूरे वादों के बारे में चिंता जताई।
भाजपा का घोषणापत्र गायब क्यों?
शायद यह स्थिति पहली बार लोकसभा चुनावों में हुई है पर भारतीय जनता पार्टी को 3 अप्रैल को अपना घोषणापत्र जनता के सामने प्रस्तुत करना था पर अब पार्टी 7 अप्रैल को ही इसे पेश करेगी जबकि 7 अप्रैल से कई क्षेत्रों में चुनाव शुरू हो जाएंगे।