हमारे देश की जाति व्यवस्था काम पर आधारित मानी जाती है। ऐसा बताया जाता रहा है कि ब्राह्मणों का काम जुड़ा है ज्ञान देने और पूजा–पाठ से, क्षत्रियों का काम सेनानी और शासन में सहयोग करने का, वेश्यों का काम व्यापार से जुड़ा है और शुद्र को सबसे निम्न श्रेणी में रखा गया है और इनके हिस्से मजदूर का काम या साफ़–सफाई का काम आया।
इन सभी में सबसे तुच्छ माने जाते हैं शुद्र, जिनमें दलितों को शामिल किया जाता है। उन्हें अछूत माना गया और आज भी उन्हें अछूत माना जाता है।
कहा जाता है कि किसी भी जाति के लोग, कोई भी काम कर सकते हैं लेकिन उनकी जाति उनका पीछा कभी नहीं छोड़ती। ऐसा ही एक नज़ारा चित्रकूट जिले के रामनगर, अतसुई, छिबो और बन्सिग गाँव में देखने को मिला। यहाँ मौजूद काम आधारित जाति व्यवस्था को देख कर बरसों पुरानी परम्परा याद आ जाएगी।
यहाँ सरकारी सफाईकर्मियों की नौकरी कुशवाह, प्रजापति और गुप्ता जाति के लोगों ने लेकर, काम करने के लिए वाल्मीकि, चमार और आदिवासी जाति के लोगों को भेज देते हैं। महीनें का पूरा 22 हजार वेतन खुद की जेब में जाता है और असल काम करने वाले दलितों को 200-300 रूपये दे कर भगा देते हैं।
हाल ही में, रामनगर ब्लॉक में 68 सफाईकर्मीयों की नियुक्ति हुई है, जिनमें से 7 कर्मी कुशवाह, प्रजापति और गुप्ता हैं लेकिन काम दलित कर रहे हैं।
गाँव के दलित और सफाई का काम करने वाले मुकेश ने बताया कि मैं कभी कभी जाता हूँ सफाई के लिए जब पंचम सफाई के लिए कहता है और उसके बदले में वो मुझे 200-300 रूपये दे देता है।
इस बारे में गाँव छिबो के प्रधान प्रतिनिधि, शैलेन्द्र कुमार का कहना है कि इस बारे में हमें भी सुनने में आया है कि लोग खुद कार्यरत है लेकिन दलितों से सफाई करवा रहे हैं। हालाँकि ये उन लोगों की व्यवस्था है लेकिन फिर भी इस बारें में अधिकारीयों को जानकारी तो होनी ही चाहिये।
वहीं, प्रधान त्रिवेणी प्रसाद ने बताया कि हमें इससे कोई मतलब नहीं है कि कौन किससे सफाई करवा रहा है, बस सफाई हो रही है यही जरुरी हैं।
विद्यालय के प्रधानाध्यापक कमलेश प्रसाद का कहना कि ये गलत है, जब कोई नियुक्त हुआ है तो कैसे वो किसी और से काम करा सकता है।
सफाईकर्मियों के अपने क्षेत्र में सफाई करने की दूसरी वजह विभागों में खाली पड़े पदों को भरना भी है। इन लोगों से चपरासी, ड्राइवर, सहायक जैसे काम लिए जाते हैं।
मऊ–मानिकपुर के विधायक प्रतिनिधि शक्ति सिंग का कहना है कि हमने इस बारे में संज्ञान लिया था। जो जिस पद पर कार्यरत था हमने उसे वही काम करने के लिए कहा और एनी कामों से हटाया। अब यदि हमे आगे भी इसी तरह का सुनने में मिलता है तो निश्चित रूप से उस व्यक्ति पर कार्यवाही होगी।
वहीं, चित्रकूट के एडीओ पंचायत रामलालमिश्रा ने बताया कि जब प्रधान ही कोई शिकायत नहीं करते तो हम क्या कर पाएंगे। वही हर बार रजिस्टर में कर्मियों की उपस्तिथि लिख देते हैं तो हम क्या करें।
ये पूरी व्यवस्था न सिर्फ सरकारी उल्लंघन है बल्कि सदियों पुरानी जातिव्यवस्था को वापस से मजबूत करने की एक साजिश है जिसे संविधान का उल्लंघन करना माना जाना चाहिये।
रिपोर्टर- मीरा जाटव और सहोद्रा