बुंदेलखंड का ज्यादा से ज्यादा इलाका घना जंगल के बीच बसा हवै। यहिनतान हर साल अप्रैल से जून महीना के बीच जंगलन मा हमेशा आग लागत हवै। पै पहिले से प्रशासन कउनौ व्यवस्था नहीं करत आय। चित्रकूट जिला के देवांगना जंगल मा पन्द्रह दिना से बहुतै आगी लाग हवै। एक कइती जंगली जानवर आपन ठिकाना तलाशै खातिर हिंया-हुंवा भटकत हवैं। हुंवा आज तक मड़इन मा यहै रहस्य बना हवै कि अचानक जंगलन मा आगी कसत लाग जात हवै। जंगल मा आगी बुझावै वाली गाड़ी न पहुंचै के कारन आगी का बुझावै खातिर 31 मार्च का हेलीकॉप्टर के मदद से आगी बुझाई गे हवै।
अजय का कहब हवै कि पन्द्रह दिना से आगी लाग हवै जेहिसे हुंवा के पशु पक्षी सब हिंया-हुंवा भागत हवैं। आगी का गांव तक आवै का खतरा हवै। उधौ प्रसाद का कहब हवै कि जंगल पास हवै, आंधी चलै तौ पूर गांव मा आगी लाग सकत हवै। बब्लू का कहब हवै कि कोलगदहिया, खोह, रेहुंटिया अउर शीतलपुर समेत आठ-दस गांवन का आगी से खतरा हवै। महरूनिशा का कहब हवै कि घर मा आगी लागे के डेर से रात के नींद नहीं आवत आय।
प्रभागीय वनाधिकारी आर. के. त्रिपाठी का कहब हवै कि आगी कउनौ लगा भी सकत हवै अउर अपने से लाग भी सकत हवै। अबै तक नुकसान के कउनौ रिपोर्ट नहीं आयी आय।
रिपोर्टर- नाजनी रिजवी