जिला चित्रकूट, गांव बेड़िपुलिया चार साल पहिले अन्ना जानवर रखें खातिर गौशाला बनाई गे रहै पै या गोशाला मा एकौ जानवर नहीं रहत आंही। यहिसे मड़इन का बहुतै परेशानी होत हवैं।
अन्ना जानवर से परेशान पप्पू का कहब हवै कि हिंया आये दिन बाहरी मड़ई जानवरन का छोड़ जात हवैं। इं जानवरन के कारन हम खेती नहीं कइ पावत आहीं। कउनौतान के खाद, बीज लगा के खेती करित हन तौ इं अन्ना जानवर सब चर डालत हवैं। यहै खातिर खेती करब छोड़ दीने हन। हमार खेत बंजर पड़े हवैं।
देवेन्द्र कुमार बतावत हवैं कि अन्ना जानवर सगले घूमत रहत हवैं यहिसे बहुतै नुकसान होत हवै। बीच सड़क मा इं जानवर घूमत हवै तौ कइयौ दरकी एक्सीडेंट होइ जात हवैं। गौशाला तौ खुली हवै पै वहिमा से कुछौ सुविधा नहीं आय। गौशाला का बहाना बना के मड़ई हिया जानवर छोड़ जात हवै। गौशाला बनी हवै उनका राखे खातिर सरकार ध्यान देई। जेहिसे यहिकेर साध जानवरन का मिल सकै।
एस डी एम नरेन्द्र बहादुर सिंह का कहब हवै कि बाहर से मड़ई हिंया जानवर छोड़ जात हवैं। जउन बड़ी बड़ी गौशाला हवैं। उनके देखभाल खातिर सरकार जल्दी ध्यान दाई।
रिपोर्टर- नाजनी रिजवी
चित्रकूट के बेड़ीपुलिया में चार साल पहले बना गौशाला
लेकिन अन्ना जानवरों से अब तक लोगों को नहीं मिली राहत