यूपीए-2 एक बार फिर घोटाले में घिरती नज़र आ रही है। कोयला घोटाला और नेशनल हेराल्ड घोटाले पर घिरी कांग्रेस के लिए धान घोटाला बड़ी मुसीबत बनता दिख रहा है। यह 2009 से 2014 तक सरकारी धान खरीद और मिलिंग यानी दराई की प्रक्रिया में सामने आया है। चालीस करोड़ से ज़्यादा का यह घोटाला सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी पीडीएस में बंटने वाले चावल से जुड़ा है। इसमें उस घटिया धान खरीद की भी बात सामने आई जिसका चावल लोगों को सरकारी कार्डों में दिया जाता है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी चुकता नहीं किया गया। और तो और जिन किसानों से धान खरीदा गया उनकी पहचान और उनके खाता नंबरों में भी भारी गड़बड़ी थी। यह घोटाला कई चरणों में हुआ।
कैग रिपोर्ट के अनुसार देश के सिर्फ चार राज्यों – हरियाणा, तेलंगाना, पंजाब, उत्तर प्रदेश में 17,985 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आई है। तो सोचिए पूरे देश में यह घोटाला कितना बड़ा होगा। कैग रिपोर्ट में भी यह कहा गया है कि यह घोटाला जितना दिखाई दे रहा है उससे कहीं ज़्यादा बड़ा होने के आसार हैं। हम कुछ चरणों का जि़क्र कर रहे हैं जहां यह घोटाला किया गया।
साल 2009-10, 2012-13 और 2013-14 में मिल मालिकों से धान की डिलिवरी में हुई देरी का हर्जाना नहीं वसूला गया। जिसकी वजह से मिल मालिकों को एक सौ उनसठ करोड़ का फायदा हुआ। नियमों के मुताबिक खेत से खरीदे गए धान पर मंडी लेबर चार्ज नहीं दिया जाता लेकिन केंद्र सरकार ने ये चार्ज भी दिया। सरकार ने घटिया धान का भी पूरा भुगतान किया। इससे सरकार को 9,788 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। घटिया धान खरीद से एक बात और सामने आती है कि किस कदर घटिया गुणवत्ता का चावल हम सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बांट रहे हैं। धान की मिलिंग या दराई के समय जो उप-उत्पाद निकलते हैं उनका भी कोई हिसाब किताब नहीं है। यह पूरे घोटाले का केवल नमूना भर है। पूरी रिपोर्ट होश उड़ाने वाली है।