खबर लहरिया झाँसी चटपटी चाट, पानी बताशे और आलू टिक्की खाने चलें झांसी!

चटपटी चाट, पानी बताशे और आलू टिक्की खाने चलें झांसी!

जिला झांसी, शहर झांसी में एसे आदमी हे जो अपने धंधे को सामान खुद अपने हाथ से बनात। इते रेबे वाले मोड़ी मोड़ा और उनके बाप मताई बनात आलू कि टिकिया और पानी के बताशा। और ठेला लगाबे वाले कछु जाने अपने घरे सामान बनात जैसे आलू की टिकिया पानी के बताशा और करेला
ऊषा ने बताई के हम जो काम तीन साल से कर रए। जिने बनाबे के लाने सूजी और मैदा को पेले बराबर मात्रा में लेके आटा के जैसे माड़ के फूलबे धर देत कम से कम एक घंटा पेले और बापे गीलो करके सूती कपडा डार देत। फिर पूरे कि लोई बना लेत और गीलो कपड़ा ङार देत। फिर बेल बेल के गीले कपडा पे डारत फिर भरी कड़ाई में सेकत तेज आंच में।
अगर कड़ाई भरी न होबे तो टिकिया फूलती नईया। और जल्दी जल्दी एक जनो डारबे दूसरो निकार बे सो अच्छी बनती।
जिनको पानी बनाबे के लाने रात के अमचुर गलबे डार। दो फिर सबेरे उबाल के पीस लो और पानी में मिला दो बामे हरो धना मिर्च पुदीना और काली मिर्च और जीरो डारो और पानी के हिसाब से नमक डारो जात।
करेला बनाबे के लाने मेदा में मोंन लगा के बा में कलोजी अजवान जीरा डार के बेल लो। और भरी कड़ाई में सेकत।
देव ने बताई के हम भी अपनी मताई के संगे बनवात और हम स्कूल भी जात पढ़बे के लाने कक्षा पांच में पढ़त।
आरती साहू ने बताई के पानी के बताशा बनाबे को काम कम से कम दो तीन साल से कर रए। जामे सब खर्चा निकार के पचास रुपईया रोज के मिलत।
एक िदना में कम से कम पांच छह हजार बना लेत। फिर अगल बगल के लेबे आत खैलार, बिजोली,बी एच एल के आरामशीन के सब लेबे आत। और हम स्कूल में भी पढ़बे जात।
कक्षा बारह में हे। जई में अपनों पढ़ाई को खर्चा चलात और अपने घर को खर्चा चालत।
रिपोर्टर- सफीना 
24/08/2016 को प्रकाशित

चटपटी चाट, पानी बताशे और आलू टिक्की खाने चलें झांसी!