जिला बाराबंकी। यहां घाघरा नदी में पानी भरने के कारण पुराना बांध टूटने की कगार पर है। पुराने बांध से लगभग दो सौ तीस मीटर की दूरी पर नया बांध भी बन रहा है। बांध में लोगों के खेत के साथ ही पच्चीस लोगों के घर भी चले गए।
छेदन लाल, भुरी और अनिल ने बताया कि हमारे पास तो रहने को घर भी नहीं है। अच्छी खासी खेती वाले थे, सब घाघरा नदी में चला गया। अब इन छोटे बच्चों के साथ पूरी बरसात इस पल्ली के सहारे बांध पर ही काटना होगा। ममता देवी, नलपुरीया देवी ने बताया कि बारसात होती है तो रात भर जगे रहते हैं, छोटे छोटे बच्चे हैं इन्हें लेकर कहां जाएंगे? जिनके पास घर है वो तो चले गए लेकिन हमारा क्या होगा? पहले तो कुछ अनाज भी मिल जाता था इस साल तो कोई सुविधा नहीं मिली, कोई अधिकारी भी मुआवजे के लिए बात नहीं कर रहा। उमेश यादव ने बताया कि हमारा तो दस बीघे में गन्ना था सब बरबाद हो गया। अब मुआवजा मिलता है कि नहीं मालूम नहीं। ठेकेदार अभय प्रताप ने बताया कि ये बांध सिंचाई विभाग से बनाया जा रहा है। इसकी लम्बाई ग्यारह सौ बीस मीटर है।
खतरे के निशान से सात कदम दूर गंगा
जिला वाराणसी। गंगा नदी का जलस्तर 24 जुलाई तक तिरसठ मीटर से उपर पहुंच गया था जबकि सामान्य तौर पर अट्ठावन से साठ के बीच में रहता है। बनारस में बाढ़ का बिन्दु करीब साढ़े सत्तर मीटर है। ऐसे में गंगा नदी अभी खतरे के निशान से सात कदम दूर है।
कुछ घाटों के संपर्क टूट गए हैं। बनारस के डी. एम. प्रांजल यादव ने छोटी नावों को गंगा नदी में चलाने से रोक लगा दी है। लेकिन अभी मोटर बोट चल रहे हैं। जिनका घर दो तीन मंजिला है वह ऊपरी मंजिले पर आ गए हैं। पानी बढ़ने से आरती की जगह में भी बदलाव किया गया है।