ग्रीस, यूरोप। यूरोप का ग्रीस देश कंगाली की कगार पर पहुंच गया है। 2009 से बिगड़ती आर्थिक स्थिति सुधरने की बजाए इतनी बिगड़ चुकी है कि अब ग्रीस पर पूरे छब्बीस लाख करोड़ रुपए का कज़र््ा है जिसे वह चुकाने में नाकाम रहा है।
क्योंकि देश की वित्तीय स्थिति इतनी बुरी है कि हज़्ाारों लोगों ने अपने बैंक के खाते खाली करने शुरू कर दिए थे। इसके चलते सरकार को 28 जून को बैंकों को बंद करना पड़ा। 7 जुलाई तक ग्रीस के सभी बैंक और ए.टी.एम. बंद रहेंगे।
कैसे शुरू हुआ ग्रीस का आर्थिक पतन
2009 में ग्रीस में नई सरकार बनी। इसी समय कुछ सालों से चली आ रही अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय स्थिति का असर कई देशों पर पड़ रहा था। ग्रीस ने 2010 में पहली बार यूरोप के देशों के गुट ‘यूरोपियन यूनियन’ और ‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ से करोड़ों का कर्ज़ लिया। इस कर्ज़ के दिए जाने के पीछे शर्त थी कि ग्रीस की सरकार को आम जनता द्वारा भरे जाने वाले टैक्स की दर बढ़ानी होगी और देश में होने वाले खर्च को कम करना पड़ेगा।
इन शर्तों के चलते देश में गरीबी और बेरोज़्ागारी बढ़ने लगी। सरकार ने दोबारा 2012 में कर्ज़ लिया। हर कज़र््ा के साथ सरकार को खर्च में कटौती करनी पड़ी – पेंशन की धनराशि कम हुई और उम्र बढ़ाई गई, सरकारी और प्राइवेट नौकरियों में अधिकतम वेतन पर सीमा लगा दी गई। इस बीच तीन सरकारें आईं और गईं।
जून 2015 में ग्रीस को कज़र््ा की एक किश्त लौटानी थी जिसे देने में सरकार असफल रही। अब ये हाल है कि ग्रीस शायद यूरोप में चलने वाले रुपए जिसे यूरो कहते हैं, को त्याग दे और पुराने रुपए पर वापस चला जाए लेकिन इसका असर यूरोप के और देशों पर भी पड़ेगा।