अहमदाबाद के 14 साल पुराने चर्चित गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार मामले में स्पेशल कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने 24 आरोपियों को दोषी माना है, जबकि 36 को बेकसूर करार दिया है। जिन 24 लोगों को दोषी करार दिया गया है उनमें 11 लोगों पर हत्या का दोष लगा है। इस मामले में सजा का ऐलान 9 जून को होगा। इस दंगे में मारे गए पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने कोर्ट के इस फैसले पर खुशी जाहिर की है।
हालांकि जाकिया जाफरी ने कहा है कि वो उन 36 लोगों को सजा दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगी। जकिया ने कहा कि यह अधूरा इंसाफ है और पूरे इंसाफ के लिए वो अपनी लड़ाई जारी रखेंगी।
क्या है गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार?
अहमदाबाद का गुलबर्ग सोसायटी दंगा कांड 27 फरवरी 2002 को हुए गोधरा कांड के ठीक अगले दिन यानी 28 फरवरी 2002 को हुआ था। अहमदाबाद शहर में घटित हुए इस कांड में दंगाइयों ने गुलबर्ग सोसायटी पर हमला बोल दिया था, जहां कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी अपने परिवार के साथ रहा करते थे। इस हमले में जाफरी सहित 69 लोगों की जान गई थी। नरसंहार में 39 लोगों के तो शव मिल गई बाकी 30 लोगों के शव नहीं मिले। कानूनी परिभाषा के तहत सात साल बाद उन्हें भी मृत मान लिया गया। गुलबर्ग सोसायटी में 29 बंगले और 10 फ्लैट थे। गुलबर्ग सोसायटी में सभी मुस्लिम रहते थे, सिर्फ एक पारसी परिवार रहता था।
अब तक क्या रहा नतीजा?
गुलबर्ग सोसाइटी केस की जांच अहमदाबाद पुलिस ने शुरू की थी। 2002 से 2004 तक छह चार्जशीट दाखिल की गई। मगर मानवाधिकार आयोग की अर्जी पर 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने गुलबर्ग सोसाइटी समेत दंगों के 9 बड़े मामलों पर रोक लगा दिया। लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में सभी 9 बड़े मामलों की जांच एसआईटी को सौंप दी। एसआईटी का प्रमुख सीबीआई के पूर्व निदेशक आर.के. राघवन को बनाया गया। 11 फरवरी 2009 को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत में केस की सुनवाई पर भी एस.आई.टी को नजर रखने को कहा। 1 मई 2009 को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के सभी बड़े मामलों की सुनवाई पर लगे स्थगन आदेश हटा लिया। 26 अक्टूबर 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने गुलबर्ग सोसाइटी को छोड़कर बाकी मामलों में फैसला सुनाने का आदेश दे दिया। गुलबर्ग सोसाइटी दंगों में एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी। जाकिया ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई लोगों पर आरोप लगाया।
एसआईटी ने 27-28 मार्च 2010 को नरेंद्र मोदी सेे लंबी पूछताछ की, मोदी ने आरोपों को गलत बताया। 2009 से 2014 तक सुनवाई के दौरान 3 जजों तबादला और रिटायरमेंट की वजह से बदल गए। 17 अक्टूबर 2014 को गुलबर्ग सोसाइटी केस की सुनवाई के लिए जज पी.बी.देसाई की नियुक्ति हुई।
22 फरवरी 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अदालत को 3 महीने में फैसला सुनाने को कहा। इसके बाद विशेष अदालत के जज पी.बी.देसाई ने फैसले के लिए 2 जून तारीख तय कर दी थी। गुलबर्ग सोसाइटी केस में 68 लोगों के खिलाफ चार्जशीट फाइल हुई, जिसमें 4 नाबालिग हैं। 2 लोगों को कोर्ट ने खुद आरोपी बनाया और 5 आरोपी की सुनवाई के दौरान मौत हो गई। ऐसे में गुलबर्ग सोसाइटी दंगा केस में अब 61 आरोपी बचे हैं।
गुलबर्ग सोसायटी नरसंहारः इंसाफ अभी बाकी है!
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