गुजरात की तीन राज्यसभा सीटों में से बीजेपी ने दो सीटों पर अपना कब्जा जमा लिया है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पहली बार राज्यसभा जाएंगे। दूसरी सीट पर स्मृति ईरानी ने भी अपनी जगह बना ली है। जबकि एक सीट पर कांग्रेस के अहमद पटेल भी जीत हासिल में कामयाब रहे।
इस चुनाव में शाह और ईरानी को 46-46 वोट मिले। वहीं, अहमद पटेल को 44 वोट मिले जबकि कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए बलवंत सिंह राजपूत को 38 वोटों से संतोष करना पड़ा।
राज्यसभा में अभी भी बीजेपी 58 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि कांग्रेस के 57 सांसद हैं। अहमद पटेल पांचवीं बार राज्यसभा में पहुंचेंगे।
अहमद पटेल की इस जीत में बीजेपी के विधायक नलिन कोटड़िया की बगावत का बड़ा हाथ रहा। नलिन अगर कांग्रेस को वोट नहीं देते तो अहमद पटेल की जीत मुश्किल थी। बीजेपी विधायक की बगावत से हुई कांग्रेस की ये जीत अमित शाह और स्मृति ईरानी की दोहरी जीत पर भारी पड़ गई।
नलिन कोटड़िया ने कहा, ”मैंने राज्यसभा चुनाव में अपनी पार्टी के खिलाफ मतदान किया है। ” उन्होंने कहा, ” मैंने बीजेपी के राज में पाटीदार समाज पर हुए अन्याय का विरोध करने के लिए ऐसा किया है और पाटीदार समाज का बेटा होने के नाते आगे भी बीजेपी का विरोध करता रहूंगा। ”
सफल साबित हुई कांग्रेस की रणनीति अहमद पटेल की ये जीत लंबे अरसे बाद कांग्रेस के लिए राहत देने वाली खबर लेकर आई है। कांग्रेस के लिए ये एक बहुत बड़ी जीत है, जिससे गुजरात के राज्यसभा चुनाव में बीजेपी से लड़ने की उसकी रणनीति पर कामयाबी की मुहर लग गई है।
इस जीत से अपने 44 विधायकों को पहले बेंगलूरु और फिर आणंद के रिजॉर्ट में रखने की कांग्रेस की रणनीति भी सफल साबित हुई है। ये जीत एक ऐसी संजीवनी है, जिसकी शंकर सिंह वाघेला की बगावत से कमज़ोर पड़ी कांग्रेस को सख्त ज़रूरत थी।
अहमद पटेल की इस जीत से बीजेपी के खेमे में निराशा है। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि अहमद पटेल को हराने के लिए बीजेपी ने एड़ी–चोटी का ज़ोर लगा दिया था। पटेल की जीत गुजरात में बीजेपी के लिए बड़ा झटका इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के गृह राज्य में अहमद पटेल का जीत जाना बीजेपी के लिए किसी सदमे से कम नहीं है।
अहमद पटेल को हराने की तमाम कोशिशों का नाकाम होना गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए बड़ा झटका है।