जिला बांदा, ब्लाक नरैनी, गांव पिपरहरी। गांव के लोगन का आरोप है कि आगनबाड़ी पोषाहार मड़इन का नहीं जानवरन के खवावैं खातिर बेचत है।
गांव के स्वामीदीन, रज्जन अउर रामेश्वर बतावत हैं-“पिपरहरी गांव के आबादी लगभग पांच हजार है। यतनी आबादी के बीच तीन आंगनवाड़ी केन्द्र अउर एक मीनी आगनवाड़ी केन्द्र हंै। हमरे गांव मा आगनवाड़ी गभवर्ती, धात्री, किशोरी अउर बच्चन का पोषाहार नहीं देत आय। कहत है कि दुई महीना से गभवर्ती अउर धात्री का पोषाहार आवत ही निहाय। किशोरी अउर बच्चन का पोषाहार नहीं देत आय। पोषाहार जानवरन के खाय का मड़इन के घर-घर धरा मिली। यहिसे हम मांग करित है कि या मामला के जांच होय का चाही।” किशोरी सुमित्रा अउर मंजू कहत हैं कि हमार नाम कृष्णा आगनवाड़ी के हेंया रजिस्टर मा दर्ज है, पै पोषाहार कतौ नहीं मिलत आय।
आगनवाड़ी कृष्णा का कहब है कि मोर केन्द्र भाग एक है। मैं सन 1991 से आगनवाड़ी पद मा हौं। मोरे केन्द्र मा 7 माह से 3 साल तक के अट्ठावन बच्चा हंै। 3 साल से 6 साल तक के पचपन बच्चा हैं। बारह गर्भवती दस धात्री अउर अट्ठावन किशोरी हैं। सब का पोषाहार दीन जात है, पै गभवर्ती अउर धात्री का दुई महीना होइगे शासन से पोषाहार नहीं आवा। मैं कउनौ का पोषाहार नहीं बेचत हौं। गांव के मड़ई बाहर से लइके खवावत हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी इशरत जहां कहत हैं कि पोषाहार केन्द्र के योजना आय। दुई महीना से गभवर्ती अउर धात्री का पोषाहार शासन से नहीं आवत। या समस्या पूरे उत्तर प्रदेश के है। जिला मा कुल एक हजार सात सौ आगनवाड़ी केन्द्र हैं। पोषाहार सब जघा वितरण कीन जात है। मैं हर हफ्ता बुधवार अउर शनिवार का जांच खातिर जात हौं। अगर पिपरहरी गांव मा पोषाहार बेचा जात है तौ नवम्बर 2014 का जांच कीन जई।
गांव के लोगन का आरोप, बेचा जात पोषाहार
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