महावारी के दौरान भारत में सिर्फ 12% महिलाएं सैनेटरी पैड इस्तेमाल करती हैं। ग्रामीण इलाकों में आधी से ज्यादा महिलाओं को पता भी नहीं है कि सैनेटरी पैड होता क्या है? ज्यादातर महिलाएं महावारी के समय गंदे कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। जिससे महिलाओं को कई तरह की अंदरूनी बीमारियाँ फैल रही है। ऐसी बीमारी को दूर करने के लिए सरकार ने आशा के द्वारा गांव में फ्री सैनेटरी पैड बाँटने की योजना चलाई है, लेकिन ये सैनेटरी पैड गांव की महिलाओं तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। हम आपको ऐसे गांव में ले चलते है, जहाँ कि महिलाओं ने सैनेटरी पैड न मिलने पर आवाज उठाई है। जिला ललितपुर के कुम्हैडी गांव में महिलाओं का आरोप है कि आशा कार्यकर्ताओं को बार-बार बोलने के बाद भी, उनको सैनेटरी पैड नहीं दिए जा रहे हैं। महिलाओं को डर है कि कपड़े इस्तेमाल करने से उनको कैंसर और टीबी जैसी गंभीर बीमारियाँ हो जाएगी।
कल्पना ने बताया कि यहाँ पर कोई पैड नहीं देता है और ना ही यहाँ कोई ये जाता कि सैनेटरी पैड होता क्या है? गरीब आदमी तो कपड़ा ही इस्तेमाल करता है। कोई-कोई अपने से बाजार से खरीदकर यूज करती है। ऊषा का कहना है कि पैड लेने से जलन,शरीर दर्द और अन्य बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है। कपड़ा लेने से टीबी कैंसर जैसी बीमारियाँ होती हैं। राजकुमारी ने बताया कि कपड़ा लेने से कैंसर हुआ है दो बार आपरेशन भी करवा चुकी हैं। ललितपुर निवासी का कहना है कि आशा से कई बार मंगाया है, लेकिन एक दो बार दी है और अब कह रही हैं कि सैनेटरी पैड अब आते ही नहीं हैं। रामदेवी ने बताया कि इस बारे ने कभी भी आशा गांव में आती ही नहीं है। हम चाहते हैं कि जो औरतों से जुड़े सरकारी लाभ है, वो सब औरतों को मिलें।
आशाबहू आरती ने बताया कि हम खुद ही बताते हैं कि सैनेटरी पैड मिल रहें हैं जो आपके लिए सरकार द्वारा आये हैं, लेकिन बड़ी मैडम हमें नहीं देती हैं वो खुद से बटवाती हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाक्टर प्रताप सिंह का कहना है कि हम अभी इस मामले की तह तक जायेगें। जो दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्यवाही करेंगें, लेकिन अभी तक कोई ऐसी शिकायत नहीं आई है।
रिपोर्टर: सुषमा
Published on May 25, 2018