लाहौर, पाकिस्तान। 28 मई 2014 को चैंका देने वाली घटना में पच्चीस साल की एक गर्भवती औरत को तीस लोगों की भीड़ ने लाठियों और पत्थरों से इतना मारा कि उसकी मृत्यु हो गई।
फरज़ाना परवीन तीन महीने गर्भवती थीं और लाहौर कोर्ट में अपने पति इकबाल के पक्ष में गवाही देने आईं थीं। फरज़ाना के घरवालों ने इकबाल पर आरोप लगाया था कि उन्होंने फरज़ाना का अपहरण कर ज़बरदस्ती उन से शादी की थी। फरज़ाना इसी आरोप के खिलाफ गवाही देने पहुंची थीं। कोर्ट के बाहर तीस लोगों की भीड़ ने फरज़ाना पर पत्थर फेंके। इस भीड़ में उनके अपने पिता, भाई और रिश्तेदार शामिल थे।
घटनास्थल पर ही फरज़ाना की सिर पर गहरी चोट लगने से मौत हो गई। इसके बाद उनके पिता ने अपराध मानते हुए कहा कि उन्होंने फरज़ाना को सज़ा दी थी क्योंकि फरज़ाना ने अपनी मजऱ्ी से इकबाल से शादी की थी और यह उनके परिवार को मंज़ूर नहीं था। 30 मई को पाकिस्तान प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने मामले में सख्त कारवाही के आदेश दिए।
पाकिस्तान में ऐसी घटना पहली बार नहीं घटी है। देश के मानवाधिकार आयोग के अनुसार, पिछले एक साल में आठ सौ सत्तर औरतों को ‘परिवार की इज़्ज़त’ के बहाने परिवार और समुदाय के लोगों ने ही मार डाला है।
गर्भवती महिला की भीड़ ने की हत्या
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