उत्तर प्रदेश मा जघा जघा स्वच्छता अभियान चलत हवै, पै सरकार उनमा केत्ता ध्यान देत हवै। वा सबै कोऊ जानत हवै। जनता का शौच खातिर शौचालय तौ बनवाये गे हवै, पै उंई शौचालय न के बराबर रहत हवैं। हर मड़ई के यहै पुकार रहत हवै कि सरकार हमका शौचालय दें जेहिसे गन्दगी न रहै अउर हमका बाहर शौच का न जाये का परै। सरकार शौचालय मडइन का बनवावत हवै। उंई शौचालय मा मड़ई शौच न कइके लकड़ी कन्ड़ा भर लेत हवै। या बात तौ सोचै वाली हवै कि आखिर मड़ई इनतान काहे करत हवै।
या समस्या चित्रकूट जिला के हर ब्लाकन मा हवै। जबै शौचालय बनवावै वालेन मड़इन से बात करै तौ उनका एक जवाब रहत हवै कि हम तौ चाहित हन कि हम शौच का बाहर न जई पै सरकार हमका बाहर शौच का जाये का मजबूर करत हवै।
ब्लाक पहाड़ी, गांव कुचारम के कुछौ मड़इन का कहब हवै कि सरकार पन्द्रह सौ रूपिया के शौचालय बनवाइस हवै। उंई कउनौ काम के नहीं आय। हमरे लगे येत्ता रूपिया होत तौ काहे हमार नाम बी.पी.एल सूची मा होत काहे शौचालय आवत रूपिया न होय से हम गरीबन से सरकार भी मजाक करत हवैं। पन्द्रह सौ रूपिया के शौचालय बनवा के नाम कर देत हवै। कत्तौ तीन सौ के ईंटा मा शौचालय बनी या बात सबै सरकार का पता हवै कि हम कउन तान के शौचालय मा शौच का जइत हन। जनता का कसत येत्ते रूपिया का शौचालय बनी। सरकार या मामला मा अबै तक कउनौ ठोस कदम नहीं उठावत आय कि काहे से या नियम तौ सरकार के हिंया से लागू कीन गा हवै। या बात जनता भी जानत हवै कि हम गरीबन के साथै सरकार मजाक करत हवै न कि हमार विकास करत हवै।
गरीबन के साथै सरकार भी करत मजाक
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