भारत एक कृषि प्रधान देश हवै। या कहावत भी हवै कि सीमा मा जवान, खेत मा किसान। अगर या बात के सच्चाई जानै खातिर चित्रकूट जिला के किसानन के समस्या का देखा जाये तौ मालूम पड़त हवै कि उंई बारह महीना कत्तौ पानी तौ कत्तौ खाद अउर बीज खातिर हिंया हुंवा भटकत फिरत हवैं।
यहिका उदाहरण हवै मानिकपुर ब्लाक, गांव निही चरैया, बरहा अउर रामनगर ब्लाक के भखरवारा गांव के किसानन का। अगर किसान का खाद, बीज अउर फसल मा डारै वाली दवाई न मिली तौ कसत फसल नींक होइ।
का इं समस्या खतम करैं खातिर जिम्मेदारी कृषि किभाग, सोसाइटी अउर बीज भण्डार वालेन के नहीं आय। का सरकार विभाग वालेन का समय से खाद, बीज अउर कीड़ा मा डारै वाली दवाई नहीं देत आय।
या फेर विभाग वाले किसान का दें मा आनाकानी या लापरवाही करत हवै। सरकार का भी किसान के समस्या खतम करै खातिर पहिले से व्यवस्था करैं के जरूरत हवै। काहे से कि अगर किसान परेशान रहिहैं तौ देश कसत खुशहाल रही सकत आय। या बात खातिर सरकार का बहुतै ध्यान दें के जरूरत हवै। का सरकार का किसानन के समस्या का खतम करैं के कउनौ चिंता नहीं रहत आय। जबै तक किसान के समस्या बनी रही तबै तक देश के जनता का सुख नहीं मिल सकत आय। जनता भी या सोचत हवै कि किसान खेती करी तबहिने नींक फसल होइ सकत हवैं। तबहिने या कहावत खर उतर सकत हवै कि भारत एक कृषि प्रधान देश हवै।
खेती न होइ तौ जनता का खई
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