प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलितों पर हो रहे हमले जैसे विवादित मुद्दे का जिक्र किया है। 7 अगस्त को एक रैली में मोदी ने कहा, ”अगर किसी को हमला करना है तो मुझ पर करे। गोली चलानी है, तो मुझ पर चलाएं, पर दलित भाइयों पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। समाज की एकता देश की शक्ति होती है। ऐसी घटनाओं से माथा शर्म से झुक जाता है।”
हाल के दिनों में दलितों पर हमले की घटनाएं हुई हैं। गुजरात के ऊना में दलितों पर अत्याचार के कारण मोदी सरकार पर विपक्ष ने जमकर निशाना साधा था। नकली गोरक्षकों के बारे में मोदी ने कहा, ”कुछ लोग समाज को तहस-नहस करने पर लगे हैं। वह हिंदुस्तान की एकता को तोड़ने पर लगे हैं। कुछ मुट्ठीभर लोग गोरक्षा के नाम पर समाज में तनाव लाने की कोशिश कर रहे हैं। किसान, कृषि और गांव के बचाने के लिए गोरक्षकों से सावधान हो जाएं।”
मोदी ने आगे कहा, ”गोरक्षा के लिए महात्मा गांधी करते थे कि बचपन में उनकी माता उन्हें दूध दिया करती थी लेकिन एक गाय जिंदगी भर दूध का जरिया बनती है।”
6 अगस्त को दिल्ली में मोदी ने पहली बार गोसेवा के नाम पर दुकान लगाने वालों पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा, ”कभी-कभी गोरक्षा के नाम पर कुछ लोग दुकानें खोलकर बैठ जाते हैं। मुझे इतना गुस्सा आता है…। सचमुच के अगर वे गोसेवक हैं तो प्लास्टिक बंद करवा दें। गायें कत्ल से ज्यादा प्लास्टिक से मर रही हैं।”
अब सवाल यह है कि क्यों लगातार गाय पर बयान दे रहे हैं मोदी? दरअसल, प्रधानमन्त्री बनने के बाद यह पहली बार है जब मोदी ने गाय पर सीधी बात की है।
इन मुद्दों पर चुप रहे मोदी…
-यूपी के दादरी में 11 महीने पहले अखलाक नाम के शख्स की इसलिए पीट-पीटकर हत्या कर दी गई क्योंकि उसके पास गोमांस रखे जाने का शक था।
-गुजरात के ऊना में 25 दिन पहले दलितों को पीटा गया क्योंकि उन पर गोवध का शक था।
-7 महीने में गाय के नाम पर दलितों और मुसलमानों पर बर्बरता के 14 बड़े मामले सामने आए हैं। ज्यादातर केस बीजेपी शासित राज्यों के हैं।
हरियाणा में 3, मध्य प्रदेश में 3, पंजाब में 3, गुजरात में 2, राजस्थान में 2 और झारखंड में 1 मामला सामने आया। इसलिए ये मुद्दा अहम बना हुआ है और मोदी ने इसे अपने चुनावी हथकंडे की तरह इस्तेमाल करते हुए आलोचना का मुद्दा बना कर पेश किया है।