जच्चा-बच्चा की मृत्युदर में कमी लाने और कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए पिछली सरकार ने हौसला पोषण मिशन योजना शुरू की थी। लेकिन सरकार के बदलते ही योजना भी बदल गयी। जिला ललितपुर, ब्लाक महरौनी, गांव कुम्हैड़ी में पंजीरी नहीं मिल रही है, जिससे महिलाएं खाली हाथ लौट रही हैं।
अंगूरी का कहना है कि पंजीरी लेने चार-पांच बार गयी हूँ लेकिन भगा देते है , जबकि पंजीरी के पैकेट रखे रहते है। कहती है सारे बच्चों को लेकर आओ तब पंजीरी मिलेगी। मेरे चार बच्चें हैं, इतनी दूर इतने सारे बच्चों को लेकर कैसे जाऊं। रामकुंवर का कहना है कि तीन-चार बार पंजीरी मिली है। अपना काम छोड़कर एक किलोमीटर दूर पंजीरी लेने जाती हूँ, लेकिन अब नहीं देती है। लड़ाई करके और गाली देकर भगा देती है। सुनीता ने बताया कि एक-एक घंटा पंजीरी के लिए बैठना पड़ता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कहती है कि जब तुम्हारे गांव के लिए पंजीरी मिलेगी, तब देगें। रानी का कहना है कि मेरी भाभी गर्भवती है लेकिन उनको भी पंजीरी नहीं मिली है। सरकार सुविधा दे रही है लेकिन हम जैसी गरीब लड़कियां पंजीरी लेने जाते हैं तो भगा देते है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शकुन्तला का कहना है कि हर महीने की 5,15,और 25 तारीख को पोषाहार बांटा जाता है। गांव की सभी महिलाएं ले जाती है। हर महीने कभी चार तो कभी ग्यारह बोरी पंजीरी मिलती हैं। सुपरवाइजर पार्वती का कहना है कि पंजीरी नहीं मिलती है तो जांच होगी, उसके बाद कार्यवाही की जायेगी।
रिपोर्टर- राजकुमारी
Published on Feb 1, 2018