उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को मुफ्त सरकारी आवास नहीं मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ लोकप्रहरी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए इसे गैरकानूनी करार दिया।
कोर्ट के फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करना होगा। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि कार्यकाल के बाद जनता के सरकारी धन से ये सुविधाएं उचित नहीं हैं।
कोर्ट के फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपना लखनऊ स्थित आधिकारिक आवास छोड़ना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा बनाए उस कानून को खारिज कर दिया है, जिसके तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को राज्य सरकार ने स्थायी आवास के तौर पर सरकारी बंगला दिया था।
साल 2016 में, शीर्ष कोर्ट ने आदेश दिया था कि पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगला वापस कर दें। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से इन लोगों से सरकारी बंगलों का किराया वसूलने को कहा था।