बुन्देलखण्ड में 12 फरवरी को आसमान से बरसी आफत ने फसल को सफेद पत्थरों की चादर से ढककर बर्बाद कर दिया।खेतों पर कड़ी मेहनत के बाद पूरी फसल तबाह हो गई। मुआवजे की मांग पर सरकार ने किसानों को राहत का मरहम तो लगा दिया लेकिन महोबा के इन किसानों को फूटी कौड़ी तक नहीं मिली हैं, इस कारण अनाज पैदा करने वाला किसान आज खुद एक-एक दाने के लिए तरस रहा है। किसानों का कहना है कि हमारी फसल का नुकसान अस्सी प्रतिशत तक हुआ है लेकिन यहां सर्वे तक नहीं हुआ है।
रमेश राजकोट का कहना है कि हम ऐसा महसूस कर रहे है जैसे जंगल में हो क्योंकि खेती साथ नहीं दे रही है। घर में गल्ला नहीं है, सरकार किसानों की अनदेखी कर रही है। नुकसान का पूरा मुआवजा नहीं मिल रहा है। दस-बीस लोगों को खिलाते थे लेकिन आज खुद एक-एक दाने के लिए मोहताज है। जो लोग बाहर रहते है उनके राशनकार्ड बने हैं और जो यहां रहते हैं उनके राशनकार्ड नहीं बने हैं। राजूपाल का कहना है कि सभी गांव में फसल के नुकसान के लिए चेक बांट दी गई है लेकिन हमारे गांव में अभी तक चेक नहीं बांटी गई है। ओले गिरने से चना,गेंहू,सरसों और मटर समेत सभी फसल नष्ट हो गई हैं। सावित्री ने बताया कि फसल बर्बाद हो जाने के कारण हम बच्चों का खर्चा नहीं चला पाते हैं, मेरे तीन बच्चें हैं, बच्चों की पढ़ाई बंद करनी पड़ेगी।
कुलपहाड़ एसडीएम राजेश कुमार यादव का कहना है कि जिन किसानों का तेतीस प्रतिशत से ज्यादा नुकसान हुआ है ऐसे सभी पात्र किसानों के खातें में पैसे भेजे जा चुके हैं। जिन किसानों को मुआवजा नहीं मिला है लेखपाल के माध्यम से खाता नम्बर विभाग में जमा करा दें, पैसा खाता में भिजवा दिया जायेगा।
रिपोर्टर- श्यामकली