जिला चित्रकूट। चित्रकूट देश के ढाई सौ सबसे पिछड़े जिलों में से एक माना जाता है। इसके तहत जिले को खास बजट भी मिलता है। फिर भी यहां सालों से आंगनवाड़ी केंद्र जैसे तैसे चल रहे हैं। जिला में कुल दो सौ ग्यारह आंगनवाड़ी केंद्र हैं जिनकी देखरेख के लिए सत्ताइस सुपरवाइज़र हैं।
ब्लाक पहाड़ी, गांव मिर्जापुर की मोना, कमला, सुशीला और सुरेश ने बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकत्री राजकुमारी और सहायिका चुन्नी देवी रोज़ पंजीरी नहीं बांटती हैं और बच्चों को बुलाने भी नहीं जातीं।
मऊ ब्लाक के गांव हटवा के प्रेमिया, सोनू और चंदा का कहना है कि आंगनवाड़ी कार्यकत्री सविता केशरवानी और सहायिका गुजरतिया बच्चों को कभी लेने के लिए नहीं आती हैं। जो बच्चे जाते हैं उनको पंजीरी देकर भगा दिया जाता है। केंद्र में कभी कोई पढ़ाई नहीं होती है।
जानें आंगनवाड़ी के नियम
चित्रकूट बाल विकास परियोजना विभाग के प्रधान सहायक अशोक कुमार के अनुसार आंगनवाड़ी में मौसमी फल, मीठा दलिया, पंजीरी बंाटी जाती है।
-एक बच्चे को रोज़ 70 ग्राम दलिया और 120 ग्राम पंजीरी
-धात्री गर्भवती महिला को 140 ग्राम पंजीरी प्रति सप्ताह
-किशोरी को 150 ग्राम पंजीरी
अगर कोई आंगनवाड़ी इससे कम या फिर नहीं है तो मालूम होने पर सरकारी कार्यवाही होगी।