संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्य सभा में जीएसटी बिल पर सात घंटे की चर्चा और 33 भाषणों के बाद सभी सदस्यों ने अपनी मंजूरी दे दी। इस विधेयक पर पिछले 16 सालों से चर्चा की जा रही थी जो कांग्रेस ने शुरू की लेकिन विधेयक भाजपा सरकार के दौरान लागू हुआ।
जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर या गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स, भारत की सबसे ऐतिहासिक और बड़ी टैक्स प्रक्रिया सुधारने वाला टैक्स होगा। माना जा रहा है कि इस बिल से देश की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ेगा। जीएसटी बिल से पूरे भारत का बाजार एकल बाजार बन जायेगा जिससे व्यापार करने में आसानी होगी।
अब तक, वस्तुओं और सेवाओं पर राज्य और केंद्रीय स्तर पर अलग -अलग कर (टैक्स) लगाए जाते थे, जैसे सेवा कर, केंद्रीय उत्पाद कर, मूल्य वर्धित कर, मनोरंजन कर, अन्य उपकर, राज्य बिक्री कर, विज्ञापनों पर कर आदि। अब यह सभी कर एक टैक्स के रूप में लगेंगे, जिसे जीएसटी कर के नाम से लगाया जायेगा। इस बिल के अंतर्गत जीएसटी कर को राज्य और केंद्रीय स्तर पर समान रूप से लागू किया जाएगा। यह भी कहा जा रहा है कि कुछ कंपनियों और क्षेत्रों में जीएसटी से दामों में बढ़ोत्तरी आएगी और कुछ में कमी।
आम जनता के लिए देखें तो अधिकतर उत्पादनों में बढ़ोत्तरी होने वाली है। जैसे- होटल में खाना खाने में, फोन बिल में, गहने खरीदने में, ऑनलाइन शोपिंग में और बीमा कराने में लगाने वाला कर बढ़ जायेगा। जबकि कुछ वस्तुओं को खरीदने पर कर में कमी भी आएगी। जैसे- कपड़े खरीदने में, गाड़ी और टीवी खरीदने में, सीमेंट और बिल्डिंग के सामान खरीदने में और सिनेमा हॉल में पिक्चर देखने में लगने वाले करों में कमी आएगी।
इस बिल की खासियत…
-टैक्स को छिपाना या चोरी करने में कमी आएगी
-उत्पादनों के दामों में कमी आएगी
-व्यापार के संचालन आसान होगा
-देश के उत्पादनों और सेवाओं के मुल्यांकन में इजाफा होगा
इस कर का सबसे बड़ा भार ग्राहकों पर पड़ेगा। खास कर गरीबों पर, क्योंकि यह एक समान रूप से लागू होता है इसलिए गरीब को भी उतना कर देना है जितना एक अमीर व्यक्ति देगा। जीएसटी अब तक 150 देशों में लागू हो चुका है।