जिला चित्रकूट। गावों में हैंडपंप बिगड़ना तो आम बात है, लेकिन अगर एक महिला और खासकर एक दलित महिला का उसे रिपेयर करे तो यह चैंकाने वाली बात हो जाती है। चित्रकूट के रैपुरा गांव चित्रकूट के रैपुरा गांव में हम शिवकलिया हैंडपंप मकेनिक से मिले। पचपन वर्ष की शिवकलिया को दूर दूर के गांव से हैंडपंप के मरम्मत करने के लिए पिछले तेइस साल से बुलाया जाता है। शिवकलिया ने यह काम सिर्फ दस दिन की ट्रेनिंग में एक वनंगना नाम की संस्था से सीखा।
‘पहले तो हम डरते थे, यह लोहा हमसे नहीं उठता था। हम डर डर के गए। ट्रेनिंग में गए तो मोटे मोटे ढाई इंच के पाइप होते थे। सब खड़े रहते थे और एक एक आदमी से हमको पाइप पकड़वाते थे और फिकवाते थे। फिर पाइप को उठाकर हैंडपंप में लोड करते थे,’ शिवकलिया का कहना है।
शिवकलिया का यह भी मानना कि अगर कुछ काम मिल जाए तो औरतें सब कुछ कर सकती हैं। चैंकाने वाली बात यह है कि यहां के लोग हैंडपंप बनवाने के लिए एक दलित महिला को बुलाते ज़रूर हैं पर उसके हाथ का पानी आज भी नहीं पीते।
यह खबर मुम्बई के सोफाया कॉलेज के सोशल मीडिया कम्युनिकेशंस के छात्रों ने खबर लहरिया के लिए लिखी है।