15 वर्षीय सोनी खातून अपने जैसे बच्चों को गंदी झुग्गी–झोपड़ियों में बसी बस्तियों में खोज रही हैं। वह पूछती हैं कि बच्चे स्कूल जा रहे हैं या उनकी शादी कर दी गयी है या वो मजदूरी कर रहे हैं। सोनी की पढ़ाई बीच में ही पारिवारिक कारणों के कारण छुट गई जिसके बाद उन्होंने अपने जैसे बच्चों को तलाशना शुरू किया ताकि जो उनके साथ हुआ वो बाकी किसी अन्य बच्चों के साथ न हो। उन्होंने शक्तिमान नामक एक समूह बनाया जिसमें बस्ती के बच्चे उन बच्चों के माता–पिता को समझाते हैं जो बच्चों की शादी करने या उनको मजदूरी आदि कराने के पक्ष में हैं।
शक्तिमान नेशनल चैनल पर आने वाला एक प्रसिद्ध कार्यकम था जिसमें शक्तिमान बच्चों को अच्छी बातें सिखाने का काम करता था। सोनी का यह समूह उसी से प्रभावित है। सोनी बताती हैं कि यहाँ के अधिकतर परिवार यूपी, बिहार से आये हुए हैं और अपने बच्चों को काम करवाते हैं। हम लोग मिल कर उनके परिवार को समझाने का काम करते हैं।
आज इस समूह से 183 बच्चे जुड़े हैं, जिनमें छोटे–छोटे 19 समूह शामिल हैं। यह सभी कोलकाता नगर निगम निगम के तहत कोलकाता के 14 झुग्गी इलाकों में सक्रिय हैं। इन बच्चों को बाल अधिकारों में प्रशिक्षित किया जाता है। पार्क सर्कस, राजा बाज़ार, किदतरपुर और विज्ञान शहर के पास डंपिंग ग्राउंड जैसे मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों को भी प्रशिक्षित किया जाता है, ताकि उनके जैसे अन्य लोगों को बचा सके। यहाँ रहने वाले बच्चे सामुदायिक नेताओं और स्थानीय राजनेताओं के साथ काम करते हैं, और अक्सर छोटे कारखानों में काम करते हैं। यही नहीं, यह बच्चे यौन शोषण और मानव तस्करी के शिकार लोगों की सहायता भी करते हैं।
सोनी बताती हैं कि घर के दौरे के अलावा, ये बच्चे गैर–स्कूल घंटों और ट्यूशन कक्षाओं के दौरान विस्तृत सर्वेक्षण करते हैं।
वह बताती हैं कि “इस समूह के गठन से पहले, ईजेसी बस्ती कोलकाता के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में से एक था। ज्यादातर बच्चे स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर थे लेकिन अब बदलाव आ गया है। लगभग सभी स्कूल जाते हैं। हम बच्चों को सलाह देने में भी बच्चों की मदद करते हैं।
कोलकाता के झुग्गीवासियों के बच्चों को बचा रहा है ये अनोखा ‘शक्तिमान’
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