सरकार ने जानवर ओर आदमियन खें ऊपर कोनऊ भी घटना न होय एई से चार छह गांव मिला के स्वास्थ्य उपकेन्द्र बनवाये हें। जोन खुलत हंे कि नई, डाक्टर समय से आउत हे कि नई, जा बात कोनऊ अधिकारी नई देखत आय।
हम बात करत हंे महोबा जिला के स्वास्थ्य उपकेन्द्र ओर पशु उपकेन्द्र खे। जोन कहूं खुलत नइयां अगर खुलत हें तो डाक्टर नई आउत आय। सरकार ने करोड़न रूपइया खर्च करके अस्पताल के इमारत बनवाउत हे, पे डाक्टरन खे लापरवाही से आदमियन खा कोनऊ लाभ नई मिल पाउत आय।
एसई अगर दूसर स्वास्थ्य से जुड़ी एम्बुलेंस 108 नम्बर की बात करी जाय तो ऊ भी सरकार ने चलवा तो दई हे, पे अगर लाभ मिले खे बात देखी जाय तो न के बराबर हे। तीनऊ सुविधन खा ताजा उदाहरण भरवारा में बनो जानवरन खा अस्पताल कभऊं नई खुलत आय। कबरई ब्लाक के पहरा गांव को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खुलत तो हे, पे डाक्टर कभऊं नई आउत आय। एम्बुलेंस तो नाम खे लाने हे।
ई समय आदमी एम्बुलेंस के भरोसे बेठो रहत हे ओर न मिले पे आदमी प्राइवेट साधन करके अस्पताल जात हे। जीखे कारन आये दिन रास्ता में डिलेवरी होत हंे। का सरकार की जिम्मेदारी रूपइया खर्च करके योजना भर लागू कर देब हे? तो योजना तैयार करे खे बाद ऊखी देख रेख करे खे जिम्मेदारी कीखी आय? जब कोनऊ कर्मचारी ई व्यवस्थन खे नई देखत आय तो सरकार उखे वेतन काय देत हे? का सरकार के एते लापरवाही करे वाले कर्मचारियन खे लाने कोनऊ नियम नइयां?
कोन देखहें स्वास्थ्य व्यवस्था
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