सरकार ने ओरतन की स्वास्थ्य सुविधा खा देख के गांव-गांव जच्चा-बच्चा उपकेन्द्र बनावाये हंे, पे बने खे बाद सुचारु रुप से चलत हें कि नई ईखी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी नई करत आय।
हम बात करत हें महोबा जिला में बने जच्चा-बच्चा उपकेन्द्र की। एते के उपकेन्द्र की हकीकत देखी जाये तो तो सिर्फ कागज तक ही सीमित हे। काय सेे कोनऊ उपकेन्द्र में ए.एन.एम. नइयां तो कोनऊ उपकेन्द्र में रहे की व्यवथा। ईखा ताजा उदहरण चरखारी ब्लाक के लुहारी गांव में बनो उपकेन्द्र हे। जिते के उपकेन्द्र में न बिजली लगी हे न पिए के पानी की कोनऊ व्यवस्था हे। जीखे कारन ए.एन.एम. ओते रहत नइयां ओर गांव की ओरतें टीकाकरण करायें खे लाने एते-ओते जाय खा मजबूर रहत हें। ई समस्या लुहारी गांव के उपकेन्द्र भर की नई हे।
महोबा जिला में बने एक सौ पचास उपकेन्द्र में से लगभग पचहत्तर प्रतिशत उपकेन्द्र एसई गम्भीर समस्या से जूझत हें। अब सवाल उठत हे सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था के ऊपर कि अगर गांवन में उपकेन्द्र बने हें तो ओते की व्यवस्था कराये की जिम्मेदारी कीखी आय? उपकेन्द्र बनवायें खे लाने आओ करोड़न रुपइया खर्च होके कितो गओ? अब उपकेन्द्र की बाकी व्यवस्था केसे पूरी होहे? का ई उपकेन्द्र एई हालत में परे रेहें या फिर ईखी व्यवस्था खे लाने दुबारा बजट भेजो जेहे? ई सब सवालन के जवाब पाए खे लाने महोबा की जनता इन्तजार करत हे।
कोन काम को हे उपकेन्द्र?
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