तमिलनाडु की जानी मानी कोडाइकनाल झील कई कारणों से आज कल खबरों में है। अगस्त में मत्स्य पालन विभाग द्वारा इक्कीस बड़े मछलियों के टेंक जिमखाना दलदल/मार्श में बनाने के लिए 9.30 रुपए का प्रस्ताव रखा गया। इसका बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों द्वारा विरोध हुआ क्योंकि यहीं से मुख्यतः झील में पानी आता है। टेंक बनने से पानी आना रुक जाता, कई गावों में पानी की कमी हो जाती। लोगों के दबाव से अभी के लिए इस प्रस्ताव पर रोक लगा दी गई। मगर झील पर अभी भी कई खतरे मंडरा रहे हैं। एक खतरा है एलीगेटर नाम की शैवाल, जिसने झील पर कब्ज़ा जमा लिए है। इसकी वजह से स्थानीय पौधे फल-फूल नहीं पा रहे हैं। ये सबसे ज़्यादा नुकसानदेह शैवालों में से है क्योंकि ये बहुत तेज़ी से फैलती है, इसे नियंत्रित करना मुश्किल होता है और पर्यावरण पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है। ये शैवाल प्रदूषित पानी पर पनपती है। नाले के पानी को बिना साफ किए सीधा झील में फेंका जा रहा है। इसके अलावा दूसरा कचरा भी जैसे – प्लास्टिक की बोतलें, बचा खाना, शौच आदि झील को प्रदूषित कर रहे हैं। पानी में ऑक्सीजन गैस के स्तर भी, जिनका मछलियों और दूसरे जीवो के जि़ंदा रहने के लिए सही रहना ज़रूरी है, सामान्य से कम है। झील को बचाने के लिए कुछ कदम उठाए गए हंै जो काफी नहीं। नगरपालिका को कार्यसमिति का गठन करना चाहिए जो झील को बचाने पर ही ध्यान केंद्रित करे।
कोडाइकनाल झील आफत में
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