गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए केंद्र सरकार की सशर्त नकद हस्तांतरण योजना अभी तक सभी राज्यों तक नहीं पहुंची है। केंद्र सरकार का जिन राज्यों में इस योजना के पहुँचने का दावा था वहां भी अभी ये योजना नहीं पहुंची है।
महिलाओं और बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, पिछले एक साल में अपने रोलआउट के बाद से केंद्र ने प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) के तहत 673 करोड़ रुपये 23।6 लाख लाभार्थियों को सौंप दिया है।
हालांकि, तमिलनाडु, तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम में अभी तक इस केंद्रीय योजना का कोई आर्थिक लाभ नहीं मिला है।
इनमें से कई राज्यों ने पैसे न देने से इंकार कर दिया है क्योंकि उनके पास अपनी खुद की राज्य योजनाएं हैं जो उच्च रकम प्रदान करती हैं और अधिक सार्वभौमिक कवरेज करती हैं।
केंद्र सरकार के अधिकारियों का कहना है कि इन राज्यों के असहयोग के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए), 2013 के तहत आवश्यक सभी राज्यों को कवर न करने के लिए केंद्र को कानूनी रूप से उत्तरदायी माना जा सकता है।
दिसंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि सभी गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इस योजना के तहत 6000 रुपये दिए जाएंगे। जबकि योजना 2010 में यूपीए -2 सरकार द्वारा देश के 650 जिलों में 53 में इंदिरा गांधी मातृत्व सहायोग योजना के रूप में शुरू की गई थी जिसे सार्वभौमिक बनाने की आवश्यकता थी। इसलिए इस योजना को प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के रूप में फिर से लाया गया, जिसमें हर गर्भवती महिलाओं को कवर किया जा सके और सभी तक पैसा पहुंच सके। लेकिन ऐसा हो न सका!
इसके विपरीत, कई राज्य जिनके पास योजना के अपने संस्करण हैं, जो दो बच्चों से ज्यादा पर भी भुगतान करती है।