जिला महोबा, शहर महोबा, दिवारी नृत्य बुंदेलखंड की अनुपम कलन में से एक हे कई जात के जो नृत्य नटवर धारी कृष्ण लीला पे आधारित हे। संगे बीरता को प्रदर्शन मनो जात। दिवारी नृत्य मुख्यतः यादव समुदाय को पुश्तैनी खेल हे।जिला महोबा, शहर महोबा दिवारी नृत्य बुंदेलखंड की अनुपम कलन में से एक हे कई जात के जो नृत्य नटवर धारी कृष्ण लीला पे आधारित हे। संगे बीरता को प्रदर्शन मनो जात। दिवारी नृत्य मुख्यतः यादव समुदाय को पुश्तैनी खेल हे। संतुलाल कलाकार ने बताई दिवारी नृत्य हमाय पुरखन से चलो आ रओ। पहले हमाय बाप और दादा करत रए अब बे बूढ़े हो गये फिर बच्चा तैयार हो गये तो हमने अपनों कार्यक्रम खडो कर दओ। दिवारी नृत्य मुख्यतः दिवाली में करो जात। नंदू ने बताई के बच्चपन से सिखात और सीखत सीखत जैसे पांच छह साल हो जाती फिर करन लगत। शिवकुवर ने बताई के खेत में देखत रए फिर एसे ही सीख गये बारह तेरह साल के हते जब से हम दिवारी नृत्य करन लगे ते। लेकिन बाकी कलन के जैसे जो भी कला विलुप्त होबे की कगार पे हे।
रिपोर्टर- सुनीता प्रजापति
Published on Aug 18, 2017