रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 26 फरवरी को संसद में रेल बजट पेश किया। लेकिन यह बजट आम आदमी के लिए कुछ खास नहीं रहा। रेल का किराया न बढ़ने से थोड़ी राहत मिली मगर ट्रेनों की संख्या भी न बढ़ने से सफर की मुसीबतें कम नहीं हुईं।
रेल बजट की मुख्य घोषणाएं
1-रेल किराया और माल भाड़ा नहीं बढा।
2- साठ दिन के बजाय अब एक सौ बीस दिन पहले की जा सकेगी टिकट की बुकिंग।
3-किसी भी नई ट्रेन की घोषणा नहीं हुई
4-राजधानी और शताब्दी समेत सभी ट्रेनों की औसत रफ्तार बढ़ेगी। भीड़भाड़ वाली ट्रेनों में और डिब्बे जोड़े जाएंगे।
5-वरिष्ठ नागरिकों के लिए नीचे वाली सीटों पर आरक्षण बढ़ेगा।
6-चार सौ रेलवे स्टेशनों पर वाई-फाई यानी इंटरनेट की सुविधा होगी।
7- चार रेलवे रिसर्च इंस्टीट्यूट खुलेंगे।
औरतों के लिए बजट ज़रूरी नहीं?
2014 में मोदी सरकार में महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा था कि बलात्कार का सामना करने वाली औरतों की सहायता के लिए हर जिले में ‘रेप क्राइसिस केंद्र’ बनाए जाएंगे। ये ऐसे केंद्र होंगे जहां औरतों की मेडिकल जांच, एफ.आई.आर. और काउन्सेलिंग – सबके लिए एक ही जगह व्यवस्था होगी।
25 फरवरी को मोदी सरकार ने अचानक इन केंद्रों के लिए साल भर से प्रस्तावित बजट में भारी कटौती करने की घोषणा कर दी। चैंकाने वाली बात है कि जहां बात देश के हर जिले में एक ऐसे केंद्र को खोलने की थी, वहां अब कहा गया है कि एक पूरे राज्य में एक ही ऐसा केंद्र होगा। इसके लिए जगह राज्य सरकार तय करेगी।
दिसंबर 2012 में दिल्ली सामूहिक बलात्कार केस और फिर मई 2013 में बदायूं में दो बहनों के बलात्कार और हत्या के मामले के बाद ऐसे केंद्रों का प्रस्ताव रखा गया था। यहां एक वकील, एक स्वास्थ्य कर्मी, पूर्व पुलिस अधिकारी और काउन्सेलर की व्यवस्था की बात थी। छह सौ साठ केंद्रों के लिए दो सौ चव्वालिस करोड़ रुपए के बजट को फिज़ूल खर्च बताकर अब सिर्फ छत्तीस केंद्रों के लिए अट्ठारह करोड़ रुपए दिए जाएंगे।