बुन्देलखण्ड को किसान खेती के आसरे रहत हे। काय से किसान हमेशा दैविय आपदा की मार मारो जात हे। कभऊं ओलावृष्टि तो सूखा जा फिर पाला। हर साल किसान बैंक से कर्ज लेके खेती करत हे। आज तक जाने कित्ते किसानन को परिवार सड़क पे आ गओ हे। ईखो कारन हे कि जभे चुनाव होत हे तो नेता आके बड़े-बड़े वादे करत हे। जीसे किसान आदमी ऊखे बातन में आ जात हे। बाद नेता सब भूल जात हे। जीखो शिकार मजदूर किसान होत हे। काय से बैंक कर्जा ओर दैविय आपदा की मार किसान नई सह पाउत हे। जीसे जा तो आत्महत्या करें खा मजबूर हो जात हे, जा फिर सदमा के कारन मोत हो जात हे। सरकार किसानन के लाने दैविय आपदा को बजट तो भेज दओ हे।
का ऊ बजट को लाभ किसान खा मिल पेहे। काय से 2014 में भई ओलावृष्टि को मुआवजा नई मिलो हे। जो कोनऊ भी सर्वे करन जात हे ओई पेहले रूपइया मांगत हे। बिना रूपइया के कोनऊ काम नई होत हे। जभे कि एसे केसन 2014 में केऊ लेखपालन खा सस्पेंस्ट भी करो हे। का राजस्व विभाग के कर्मचारियन को अपने वेतन से पेट नई भरत हे। दूसर बात तो जा हे की जोन सरकार ने किसानन खा मुआवजा दओ हे। ऊसे किसानन को भओ नुक्सान की भरपाई हो पेहे। काय से किसान एक बिघा में कम से कम दस हजार की लागत लगाता हे। एक बिघा को मुआवजा नौ हजार रूपइया देत हे ऊ कर्जा चुकाहे जा फिर परिवार खा खबाहे। जा बात सोचे वाली हे नई तो कोनऊ किसान खेती न करहे।
किसान, फिर पानी ओर ओला की मार
पिछला लेख