बुन्देलखण्ड का किसान हमेशा परेशान रहत हवैं। कत्तौ सूखा तौ कत्तौ बेमौसम बारिस अउर कत्तौ पाला परै के कारन। सरकार से सूखा घोषित करावैं खातिर मांग करत रहत हवंै, पै सरकार उनकर समस्या काहे नहीं सुनत?
भारत एक कृषि प्रधान देश हवै। किसान के समस्या का अम्बार लाग हवै। बुंदेलखण्ड के ग्रामीण इलाके का किसान ज्यादातर खेती के ऊपर निर्भर हवैं। इं किसान या बरस सरकार से सूखा घोषित करैं के मांग करत हवैं।
काहे से कि किसान के अरहर, उरदा, तिली, जोंडी अउर धान के खेती सूख गे हवै। यहै से किसान का चिंता हवै कि हमार तौ बीज का भी रूपिया न निकरी। अगर सरकार सूखा घोषित करै अउर कुछ मुआवजा दइ दे तौ थोइ सहारा होइ सकत हवै?
सरकार का किसान के समस्या का निपटा पाई? यहिके खातिर जरूरत हवै कि सरकार किसान के समस्या का खतम करैं खातिर जल्दी कोशिश करैं। तबहिने बुंदेलखण्ड का किसान खुशहाल रही सकत हवै? अगर किसान ,खुश रही तौ देश मा भी खुशहाली रही सकत हवैं। यहै से सरकार का किसान के समस्या का खतम करब बहुतै जरुरी हवै। तबहिने भारत एक कृषि प्रधान देश साबित होइ सकत हवै। नहीं तौ या एक कहावत बन के रही जई?
किसान के समस्या जस के तस
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