बुन्देलखण्ड में सूखा के कारन पशु पक्षी ओर आदमी खायें पियें खा तरसत हे। तालाब कुआं ओर हैण्डपम्प सूखे परे हे। आदमी तीन-तीन किलो मीटर दूर से पानी लाउत हे। किसान चार साल से बराबर सूखा ओला ओर पाला जेसी प्राकृतिक मार झेलत हे। किसानन खा कोनऊ न कोनऊ तरह से अश्वासन देके समझा दओ जात हे, पे मामला सब सिफर रहत हे। जांच ओर सर्वे तो हो जात हे मुआवजा भी मिलत हे पे मुआवजा से ज्यादा ऊ किसान को खर्चा होत हे। मुआवजा पाये के लाने कर्मचारियन के चक्कर लगाउत रहत हे। 7 दिसम्बर खा उत्तर प्रदेश के आई.ए.एस. अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने महोबा में सूखा खे लेके गांव में जांच करी हे, साथई मांनो हे की 7 प्रतिशत बुआई भई हे। किसान के घर मे जाके जांच करी ओर ऊखे घर में का बनो हे देखो हे ओर ऊ खाना भी खाओ हे।
सोचे वाली जा बात हे की जांच भई सर्वे भी करो हे पे का किसान खा ऊ सुविधा मिलहे जोन एक किसान अपने परिवार के पाले खा उम्मीद करे बेठो हे। काय से एक परिवार पाले के लाने खाना पानी, कपड़ा, पढ़ाई ओर बिमारी लागू हे। पे आज को किसान भूखमरी के कगार में आ गओ हे।
किसान रामस्वारूप ओर भवानीदीन कहत हे की आय दिन किसान आत्म हत्या करें खा मजबूर हे। काय से परिवार में इत्त्ी तंगी आ गई हे। बच्चन की शादी ओर साहू कारन के कर्जा से छुटकारा नईं मिलत हे। किसान भूषा न होंय के कारन जानवर तो बेंचत हे, पे परिवार खा केसे पालहे।
सवाल जा उठत हे की सूखा घोसित तो सरकार ने कर दओ हे पे का ऊ लाभ से किसान तंगी दूरी हो जेहे। दस हजार बीस हजार रुपइया में छह आदमी को परिवार केसे चल सकत हे। जिले में बेठे सरकारी कर्मचारी मुंह देखी काम करत हे। अभे तक पिछली बारी की किसानन खा चेक नईं मिली, किसान अधिकारी ओर विभाग के चक्कर काटत हे। दुबारा से सूखा घोषित हो गओ हे। किसानन के साथे खिलवाड़ करा जात हे।
किसान के ऊपर फिर सूखा की मार
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