एक समय भरत खा कृषि प्रधान देत कहो जात हतो। जभे भारत से दूरे देशन में खायें के लाने गेंहू भेजो जात हतो। आज को एसो समय हे की उत्तर प्रदेश को किसान एक एक दाना खा मोहताज हे। किसानन के लगातार मोत को सिलसिला चालू हे। सदमा से हो जा फिर पिडि़त परिवार की स्थिति के कारन। अब कोनऊ किसान की सुने वालो नइयां। 2014-15 में सैकड़न किसानन की मोत हो चुकी हे, पे राजस्व विभाग जा फिर सरकारी कागज में गिने चुने ही दर्ज हो हे। जीखे मुआवजा जा फिर कछू सहायता मिली हो हे। ऊ भी एसे किसान हो हे जीने महिना दो महिना अधिकारी के चक्कर काटे हो हे।
हम बात करत हे महोबा जिला के जिते के किसान बारिस न होंय पे भुखमरी के कगार में आ गये हे, सूखा घोषित न होंय पे फिर किसान सड़क पे उतर आयें हे। सोचे वाली बात जा हे की सड़क के उतरे से का होने हे। काय से जोन सरकार ओर ऊखे कर्मचारी करहें ओई हो हे।
कुलपहाड़ तहसीलदार के अनुसार सुखा घोषित हो गओ हे, ईखो लाभ किसानन खा कित्तो मिलहे जा तो साफ नजर आउत हे। काय से आज भी गांवन में किसान खा चेक नईं मिली तहसील,बैंक ओर अधिकारियन के चक्कर काटत हें।
ताजा उदाहरण ब्लाक पनवाड़ी, गांव रिवई को रामगोपल ओर जैतपुर ब्लाक गांव मुढ़री को ओमप्रकाश के अनुसार परिवार कटोर लेके भीग मगांउन हो गओ हे काय से तीन साल खे खेती मे कछू नई होत हे ओर सरकारी सुविधा चेकन को रुपइया आज तक मिलो हे।
सवाल जा उठत हे की सरकार गरीबन की मद्द के लाने बजट भेजत हे जा फिर सरकारी कर्मचारियन के लाने। काय से कर्मचारी पेहले सौदा करत हें ओर फिर चेक के देत हे। ईखे लाने सरकार काय नई कोनऊ ठोस कदम उठाउत हे। जभे सरकार खा ज्ञापन भेजो जात हे, तो कारकार खा आपने भेजे गये बजट को हिसाब लेय खा चाही?
किसानन पे फिर सूखा की मार
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