नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि किन्नरों को तीसरे जेंडर का दर्जा देने के फैसले पर स्पष्टीकरण की जरूरत है। केंद्र द्वारा डाली गई याचिका में कहा गया है कि सभी किन्नरों को अन्य पिछड़ा वर्ग में कैसे शामिल किया जा सकता है जबकि इनमें से कुछ किन्नर अनुसूचित और कुछ अनुसूचित जनजाति के होंगे। 15 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने किन्नरों को तीसरे जेंडर की मान्यता देते हुए इनके लिए आरक्षण का आदेश भी दिया था। केंद्र ने समलैंगिक महिला एवं पुरुष और उभयलिंगी की परिभाषा में भी स्पष्टता मांगी है। क्योंकि फैसले में यह भी था कि समलैंगिक पुरुष या महिला और उभयलिंगियों को लाभ नहीं मिलेगा। लेकिन कुछ ट्रांसजेंडर समलैंगिक, उभयलिंगी भी हो सकते हैं।
राजस्थान के अजमेर जिले में 5 जून को एक किन्नर के साथ सामूहिक बलात्कार किया। हंगामें बाद उसकी रिपोर्ट दर्ज हुई। लेकिन दोषियों को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।