सरकार राशन अउर किराशन कार्ड बनबलथिन ताकि लोग सबके सुविधा मिले। कोनो तरह के परेशानी न होतई। जेई लोग के कार्ड बनके न अलई ओई लोग के राशन अउर मिट्टी तेल केना मिलतई। ऐई समस्या के लेके लोग परेशान छथिन।
जेईसे कि घर-घर के जनगणना होलई लेकिन तभी भी लोग सबके नाम ओई जनगणना में छूट गेलई जेई कारण राशन कार्ड न अलई। इ समस्या शिवहर अउर सीतामढ़ी जिला में देखेला मिल रहल हई। राशन कार्ड न मिललई त राशन केना मिलतई। ऐई बात के लेके सब लोग परेशान छथिन। ऐई के लेके पंचायत, प्रखण्ड तक लोग दौड़-धूप कर रहल छथिन। इहें कहि- कहिं त अधिकारी के घेराव, जाम अउर हंगामा भी कर रहल छथिन। एई के लेल दोषी कोन हई? जनगणना के नियम रहई कि सब के घर पर जाके परिवार के सब व्यक्ति के नाम लिखेके। लेकिन ओईसन होलई कहां? एक जगह बईठके लोग के समान के आकरा लगायल गेलई त कहि रुपईया लेके गलत रिर्पोट बनायल गेलई। ऐई से जनगणना करे वाला के कथी नुकसान होलई, जनता न मरल जा रहल हई।
हर बेर लाखो करोड़ो रूपईया जनगणना में खर्च होई छई। जनता के फायदा के लेल जनगणना करे के काम आंगनवाड़ी बी.एल.ओ., शिक्षक के देल जाई छई। इहे काम बेरोजगार के देल जतियई त शायद धरातल पर काम होतियई। सरकार जब विभाग बनवा देले छथिन त विभागीय लोग कयला न ध्यान देई छथिन। यदि तनको ध्यान देतियथिन त अतेक गलती न होतियई। ऐई कार्ड के लेके दोहरूआ काम जनता से लेके अधिकारी के भी लाग गेल हई।
किनका मिले के चाही राशन?
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