गुजरात। सरकारी किताबों की छपाई करने वाली ‘नैशनल बुक ट्रस्ट’ कम्पनी ने सामाजिक कार्यकर्ता और आम आदमी पार्टी नेता मेधा पाटकर के बारे में एक अध्याय गुजरात की स्कूली किताबों से हटाने का फैसला किया है।
गुजरात के अहमदाबाद शहर की एक संस्था का कहना है कि 2013 में आम आदमी पार्टी से जुड़ने के बाद मेधा पाटकर एक राजनीतिक हस्ती हैं जिन के बारे में स्कूली छात्रों को पढ़ाने की ज़रूरत नहीं है। संस्था ने शिक्षा मंत्री स्मृति इरानी को एक पत्र भेजा था। इसके बाद केंद्र शिक्षा विभाग ने उनकी मांग मंज़ूर की। 1999 में छपी किताब में मेधा पाटकर के बचपन पर लेख शामिल है जिसे हटाया जा रहा है।
मेधा पाटकर कई सालों से ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ से जुड़ी रही हैं। इस आंदोलन की मांग है कि नर्मदा नदी पर बन रहे सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई को ना बढ़ाया जाए क्योंकि इससे हज़ारों और ग्रामीणों के घर और खेत डूब जाएंगे। मोदी सरकार के आते ही इस बांध की ऊंचाई बढ़ाने का आदेश दे दिया गया था। पाटकर ने कहा कि आंदोलन से उनके जुड़ाव के कारण यह फैसला लिया गया है।
किताबों से हटीं मेधा पाटकर
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