महोबा में एसे केऊ गांव हे, जित्ते नहर तो निकरी हंे पे ऊ नहर में पानी नई छोड़ो जात हे। जीसे किसान नहर में पानी छोड़े की मांग करत हे। पे विभाग किसानन की समस्यन खा ध्यान नई देत हे। जीसे अभे हजारन हेक्टेयर जमींन में फसल बोये खा परी हे।
हम बात करत हें कबरई गांव सुरहा। एते पिण्डारी नहर निकरी हे। जीमें दो साल से पानी नई छोड़ो जात हे। जीसे दसन गांव की जमीन बन्जर परी हे। ऊसई भरत खा कृषि प्रधान देश कहो जात हे। पे किसान खा हमेंशा कभऊं सूखा तो कभऊं पाला, कभऊं कम बरिश तो कभऊं ओलावृष्टि की मार से गुजरने परत हे। ईखे बाद भी जेके तेसे किसान आपन परिवार चलाउत हे तो नहरन में पानी नई छोड़ो जात हे। जीसे लगातार किसान आत्महत्या जा फिर सदमा को शिकार हो रहो हे।
ताजा उदाहरण ब्लाक जैतपुर गांव सिरमौल एते के एक किसान के परिवार के बतायें अनुसार 19 नवम्बर 2014 खा किसान सूखा ओर ओलावृष्टि के कारन सरकारी कर्ज होये के कारन सदमा लागे से मोत हो गई हे।
जभे ई बात खा लेके विभाग में बात करी तो बांध में पानी नई बचो हे कहके आपन पल्ला झाड़ दओ। सोचे वाली जा हे कि जभे बारिस होत हे ऊ पानी खा काय नई रोको जात हे। अगर रोको जात हे तो इत्ती जल्दी केसे खत्म हो । बांध में पानी होंय की आखिर किखी आय। विभाग की जा फिर किसानन की?
जा समस्या खा रोके के लाने सरकार ओर विभाग खा बोहतई गम्भीरत से सोचे खा चाही? तभई जा समस्या दूर हो सकत हे।
का सुधरहे नहरन की हालत
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