बुन्देलखण्ड को आदमी किसानी पे निरभर रहत हे। जीसे चारऊ केती के मार मारो जात हे। एते तक की किसान आत्महत्या करें खा मजबूर हो जात हे।
महोबा जिला मे आय दिन किसान खेत की फसल खराब होंय के कारन आत्महत्या करत हे।
सवाल जा उठत हे कि का आत्महत्या समस्या को समाधान हे। का ईसे हमाओ नुक्सान पूरो हो जेहे। एसो करे से पेहले किसान खा सोच लेय खा चाही अगांऊ आयें वाली पीढ़ी के बारे। अगर हम एसो करत हे तो परिवार किते जेह। जा बात तो सच हे किसान बड़ेन खा कमा के देत हे। सरकार खा किसानन के लाने कोनऊ ठोस कदम उठायें खा चाही? जभई जा समस्या दूर हो सकत हे। नई तो जाने कित्ते परिवार सड़क मे आके भीभ मगाउन लगहे। काय से एक तो खेती मे कछू होत नइयां, अगर होत भी हे तो दैवीय आपदा की मारमारो जात हे। सरकार जोन मुआवजा देत हे ऊसे किसान आपन बीज ओर खाद भर नई चुका पाउत हे तो कर्जा किते से भरहें। जोन रूपइया मिलत भी हे ऊमें आधे से ज्यादा दलाली में लग जात हे। सरकार खा मांहगाई खा ध्याान में धरके किसानन के लाने ठोेस कदम उठायें की जरूरत हे।
सरकार अगर किसानन को कर्जा मांफ नई करत हे तो किसान को परिवार सड़क में आ जेहे। काय से ई साल सौकरो किसानन कि सदमा जा फिर आत्महत्या से जान जा चुकी हे। किसानन के ई समस्या खा दूर करें के लाने सरकार खा गम्भीरता से सोचे खा चाही? तभई जा समस्या दूर हो सकत हे।
का रूकहे किसानन की आत्महत्या
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