ई बेमौसमी बारिस ओर ओलावृष्टि ने आदमी खा परेशान कर दओ हे। जीसे आदमी पीढ़ी दर पीढ़ी भुखमरी के कगार में आउत जात हे। एक तो खेती साथ नई देत हे दूसर मजदूरी। आखिर किसान जा मजदूर आदमी कभे तक जा पीढ़ा सेहे। आपन परिवार खा केसे चलाहे।
सरकार मनरेगा जेसी योजना तो चलाउत हे, पे ऊमें सफल नई हो पाई हे, आखिर का कारन हे। हम बात करत हे महोबा जिला की जिते के गांव के आदमी आधे से ज्यादा पलायन करत हे। काय से मनरेगा चलत तो हे पे गांव में जल्दी काम नई मिलत हे अगर मिलत हे तो रूपइया के लाने आदमी दो-दो साल भटकत रहत हे। सोचे वाली बात तो जा हे कि मजदूर आदमी रोज को कमाये खाये वालो ऊ दो साल तक केसे रेहे।
ताजा उदाहरण – कबरई ब्लाक के सुनैचा गांव जिते के आदमियन ने 2014 मनरेगा के तहत काम करो हतो। ऊखो रूपइया आज तक नई मिलो हे। का एसे मे सरकार पलायन करे वाले मजदूर आदमियन खा रोक पेहे। जघा-जघा दिवालन में लिखो रहत हे कि – हर हाथ को काम मिलेगा, काम के बदले दाम मिलेगा।
सवाल जा उठत हे कि जभे काम को रूपइया नई मिलत हे, तो बिना काम को रूपइया कोन दे देहे। आखिर सरकार खा कोनऊ भी नियम जा फिर योजना लागू करे से पेहले सोच लेय खा चाही। काय से नई बाद में मजदूरन खा बोहतई बड़ी मार परत हे। एक तो मजदूर आपन पेट चलाये के लाने रात-दिन, आपन खून पसीना एक कर देत हे। बाद में दर-दर की ठोकरे खाने पारत हे।