भीषण ठण्डी ने आदमियन खा चारो केती से झाकजोर के धर दओ हे। जीसे आदमी परेशान होत हे। सबसे ज्यादा तो सफर करें वाले आदमियन खा जा फिर किसान ओर मजदूर आदमी खा होत हे। काय से ऊ आदमियन खा सुबेरे से निकरने परत हे। आदमी ई ठण्डी से अब इत्तो डरन लगो हे कि बाहर तक नई निकरत हे। काय से आय दिन आदमियन की मोत होत हे। ईखे लाने शासन भी कछू ध्यान नई देत हे ओर न ही ऊखे कर्मचारी।
सोचे वाली बात तो जा हे कि एक तो सरकार नाम भर खा योजना भेजत हे। ऊ भी लाभ मिले वाले आदमियन खा नई मिलत हे? हम बात करत हे कम्बल की कि सरकार एक गांव में पांच कम्बल देत हे तो का तीन हजार की आवादी वाले गांव में पांच आदमी कम्बल के पात्र ओर आसहाय होत हे। ऊ भी बांटे वाले कर्मचारी मुंह देख के देत हे। सरकार खा कोनऊ गरीबन खे लाने लाभ भेजे से पेहले सोच लेय खा चाही? कि जोन लाभ भेजत हे ऊ आदमियन तक पोहेचहे कि नई। दूसर तो जा बात खटकत हे कि जभे सरकार के एते बजट नई रहत हे तो काय योजना भेजत हे। एसो करे से गांव तहसील ओर नगर पंचायत में आय दिन कम्बल को आसरा कर नगर पंचायत ओर तहसील में लाइन लगी रहत हे। पे कर्मचारियन को जबाब कम्बल बांट गये हे। जीसे आदमियन खा खाली हाथ वापस लौटने परत हे। आखिर सोचे वाली तो बात जा हे कि चाहे ऊ पांच हजार की आवादी को गांव हो जा फिर पन्द्रह हजार आवादी वालो नगर पंचायत? ओते भी वार्ड में पांच कम्बल बांटे हे। आखिर का कारन हे जो सरकार एसो करत हे। का पांच आदमियन खे देय खा सरकार के एते बजट हे। जा फिर पांच आदमियन खे लाने योजना ओर बजट बनाओ हे। जा बात सरकार खा बोहतई गम्भीरता से लेय खा चाही। काय से ईसे जनता के बीच मे बोहतई भेदभाव ओर लड़ाई होत हे। जीसे आदमी खा सरकारी योजना को लाभ पत्र आदमियन खा मिल सके।
का इत्ते हे पात्र आदमी?
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