जिला बांदा, ब्लाक महुआ, गांव पिथौराबाद। या गांव के लगभग अस्सी प्रतिशत लोग काम के खातिर परदेश पलायन करत हैं। लोगन का आरोप है कि प्रधान के पांच साल पूर होइगे आज तक (मनरेगा) के तहत मिलै वाला काम प्रधान नहीं दिहिस। हम लोगन के जाब कार्ड खाली रखे हैं। अगर काम के मांग करत हन तौ वा या कहिके टाल देर है कि तुम्हरे लाइक काम निहाय।
गांव के शमीम अउर फकरूद्दीन का कहब है कि हम लोग चार-चार महीना का दिल्ली,पंजाब, हरियाणा,अउर आगरा कमाये खातिर घर परिवार से दूर चले जात हन। अगर परदेश नहीं कमाइत तौ हमार लड़का बच्चा भूखन मरत हैं। हमरे पास तौ एक बिसुवा जीमन तक निहाय। अगर गांव मा काम मिलै लागै तौ परदेश के एक रोटी भली निहाय अपने गांव घर मा परिवार के साथ रहिके आधी रोटी खाब भली है। आमना खातून अउर हमीदन कहत है कि या गांव मा गरीब मजदूरन खातिर कउनौ काम आय न सरकार से आवैं वाली योजना पेंशन अउर राशन कार्ड का लाभ आय। लड़का परदेश कमात है। तबै हम लोगन का पेट भरत है।
प्रधान रूकमिन के पति नीरज का कहब है कि हमरे गांव मा या साल सूखा के कारन अस्सी प्रतिशत लोग बाहर हैं। जब से चुनाव के तारीख आई काम बंद है। नहीं तालाब अउर मेड़बंदी जइसे का बहुतै काम भा है। मजदूर लोग मजदूरी के सहारे आपन परिवार पालत है। शासन स्तर से मजदूरी का रूपिया बहुतै देर मा मिलत है। यहिसे बाहर काम का जात है गांव मा मजदूरी का अस्सी हजार रूपिया आज भी पड़ा है।
काम न मिलैं से पलायन करैं का मजबूर
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