उत्तर प्रदेश में एक शहर है कानपुर। यहां की आतिशबाज़ी और चमड़ा बहुत प्रसिद्ध है। प्रसिद्ध तो ठग्गू के लड्डू भी हैं। लेकिन यह शहर एक और कारनामे के लिए जाना जाता है। यह कारनामा है बिजली चोरी। शहर की गलियों में एक दूसरे को पटखनी देते कई बिजली के तारों की भीड़ में आपको पता भी नहीं चलेगा कि कौन सा तार चोर तार है। यानी बिजली की चोरी के लिए सरकारी तारों में फंसाया गया तार। तार फंसाने की इस प्रक्रिया को कहते हैं कटियाबाज़ी।
इस काम में माहिर व्यक्ति को कहते हैं कटियाबाज। उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए यह शब्द नया नहीं है। निर्देशक फहाद मुस्तफा और दीप्ति कक्कड़ ने मिलकर कंटियाबाज़ फिल्म बनाई है। फिल्म में बिजली कटौती की समस्या और इसके कारणों को बेहतरीन ढंग से दिखाया गया है। बिजली कटौती से जूझते लोगों के लिए राहत बनकर आता है, लोहा सिंह। लोहा सिंह एक कटियाबाज है। यानी वह बिजली चोरी करने में माहिर है। अवैध कनेक्शन के लिए वह बिजली के खंभों में तार डालता है। इनका रूप रंग कुछ ऐसा होता है, मुंह में गुटखा दबाए, हाथों में प्लास लिए, खंभा चढ़ने में माहिर। इस बीच एक आई.ए.एस. अधिकारी की नियुक्ति होती शहर में। वह बिजली चोरी रोकने की कोशिश करती है।
एक तीसरा किरदार है समाजवादी के विधायक इरफान सोलंकी का जो कुछ लोगों के साथ बिजली विभाग में बिजली के लिए चढ़ाई करता है। वह अधिकारी के साथ बुरा व्यवहार भी करता है। लेकिन अदालत में बरी हो जाता है।
कानपुरिया कटियाबाज़
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