गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी की अगुआई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के तहत सांप्रदायिक हिंसा तीन साल से बढ़कर 2017 में 822 यानी 28% की बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन वर्ष 2008 में 943 इसे दशक के सबसे उच्चतम स्तर पर देखा गया. से कम था।
वहीं, देश में सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य यूपी में पिछले दशक में सबसे अधिक 1,488 घटनाओं के घटित होने के आंकड़े मिले हैं।
यूपी में सांप्रदायिक घटनाएं 2014 में 133 यानी 47% थीं जो 2017 में बढ़कर 195 पर पहुंच गईं। वहीं, वर्ष 2013 में यूपी में पिछले दशक में किसी भी राज्य से सबसे अधिक 247 घटनाएं देखी गईं।
14 अप्रैल, 2017 को हफ़िंगटन पोस्ट में छपे लेख के अनुसार, धर्म से संबंधित उच्चतम सामाजिक शत्रुता के लिए सीरिया, नाइजीरिया और इराक–के बाद 2015 में भारत दुनिया में चौथे स्थान पर था।
लोकसभा में जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक दशक में 7,484 सांप्रदायिक घटनाओं की सूचना मिली है। जिसमें 2008 से 2017 में दो दिन के बीच हुई घटनाओं में 1,100 लोगों की मौत हुई।
उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक घटनाओं वाले राज्यों में महाराष्ट्र (940), कर्नाटक (880), मध्य प्रदेश (862) और गुजरात (605) का स्थान आता है।
इस दशक के दौरान पांच राज्यों में 64% सांप्रदायिक घटनाएं हुईं है।
चुनाव के दौरान, वर्ष 2014 कर्नाटक में साम्प्रदायिक घटनाओं में 37% की बढ़ोतरी हुई जो वर्ष 2017 में यह 39% हो गया।
मध्यप्रदेश (135), महाराष्ट्र (140), राजस्थान (84) और कर्नाटक (70) के बाद उत्तर प्रदेश ने सबसे अधिक मौतें 321 से 1,115 तक पहुंच गई हैं जो 28% तक घटनाओं में बढ़ती मौतों को दर्शाता है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश को सांप्रदायिक कट्टरपंथी माना जाता है. यह क्षेत्र धार्मिक रेखाओं के आधार पर विभाजित है जिसका गढ़ मुज़फ्फरनगर है. यहाँ 2013 अगस्त और सितंबर में सांप्रदायिक दंगों को देखा गया, जिनमें 60 लोग मारे गए और 40,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए।
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिरीक्षक के कार्यालय से लिए गये आंकड़ों के अनुसार, 2010 और 2015 के बीच मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा पांच गुना बढ़ी है. जिससे राज्य के 90% हिस्से में तनाव होने का पता चलता है।
फोटो और लेख साभार: इंडियास्पेंड