सरकार किसान के खेती करे के लेल बहुत सुविधा सोचई त छथिन, जेईमें कुछे सुविधा किसान के उपलब्ध हो पवई छई। ओहु में समय से सुविधा न मिले से बहुत किसान लाभ से वंचित रह जाई छई।
जबकि सरकार कृषि प्रधान राज्य घोषित कयले छथिन। लेकिन चारो तरफ से किसान ही मारल जाई छई। कहीं समय से बीज न मिलई छई त कहीं सिंचाई के सुविधा न हई। कहीं किसान के खाद भी मिलई छई त उहो किसान ब्लैक से खरीदई छथिन। किसान सोचई छथिन कि ज्यादा रूपईया खर्च ही सही समय से खेती हो जाय। त मौसम भी साथ न देई छई। ऐई बेर देर से बरसा होय के कारण किसान सब के खेत परती ही रह गेलई। किसान सोचलथिन कि समय से गेहूं के बीज मिल जायत त नवम्बर के शुरूआत में ही गेहूं बोआ जतियई। लेकिन राह देखईत-देखईत नवम्बर बित गेल। अब आधा दिसम्बर बितला के बाद गेहूं अउर मसूर के सरकारी बीज वितरण कयल गेलई। तब तक किसान दोकान से साठ रूपईये बीज खरीदके बोआई कर लेलथिन। डीजल अनुदान भी जेतना तेल खर्च होई छई ओकर एको हिस्सा खर्च न मिल पवई छई। अगर सिंचाई के सुविधा भी उपलब्ध रहतियई त सही समय फलस के किसान लाभ उठतियई। लेकिन ऐही कारण से छौ-छौ महिना तक खेत परती रह जाई छई। ऐही सब कारण से किसान उन्नति न कर पवई छई। जिनका पास अपन खेत हई उ केनाहियो अपन परिवार चलबई छई लेकिन जे बटाई खेती करई छई उ कहीं के न रह जाई छई।
सरकार के इ समस्या पर गहराई से सोचे के जरूरत हई। न त किसान कहीं के न रह जतई।
कहिया दूर होतई किसान के समस्या
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