दीपावली की तैयारियां चारऊ केती बड़े जोर शोर से होत हे। आदमी अपने घरन को कबाड़ बाहर निकार फेंकत हें। आदमी अपने घर के सफाई ओर पुताई तो करत हे, पे बाहर की सफाई को कोनऊ ध्यान नई देत हे। आखिर जा सफाई करायें की उजिम्मेदारी किखी आय। ऊसई तो सफाई कर्मी रोज सफाई नई करत हे, पे त्योहारन में तो नाली रोड साफ करे खा चाही़?
सरकारी कर्मचारी ओर नेता लोग तो अपने द्धारे ओर नालियन की सफाई करा लेत हे पे दलित बस्ती ओर गांवन में कोनऊदेखे तक नई जात हे। गांव में तो आदमी अपने हाथन से सफाई कर लेत हे। पे शहरन में तो जगह जगह कूड़न की ढेर लगे हे।
सोचे वाली बात जा हे कि एक केती तो गांव शहर ओर बाजार में एक महीना से सफाई ओर सजावट होंय लगत हे। पे नगर पालिका या शासन प्रशासन सफाई की कोनंऊ ध्यान नई देत हे। आदमी बाजार समान खरीदन आउत हे तो नाक दाब के निकरत हे। दुकानन में ठाड़े होय से मव्छर लागत हे। जा सफाई करायें की जिम्मेदारी कीखी आय।
कस्बा में चार चांद लगाउत कूड़न के ढेर
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